विधायक-विधान पार्षद में कौन ज्यादा ताकतवर और क्या अंतर है जानिए

0

राज्य में राज्यपाल, विधानसभा और विधानपरिषद मिलकर विधानमंडल बनता है। ठीक वैसे ही जैसे केंद्र में राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा को मिलकर संसद का बनता है । लेकिन सामान्यत लोगों को विधायक और विधान पार्षद में अंतर नहीं मालूम होता है । इन दोनों के काम क्या हैं ? कौन ज्यादा ताकतवर होते हैं ? दोनों का चुनाव कैसे होता है ? जैसे सवाल उनके मन मस्तिष्क में तैरता रहता है। इन्हीं सवालों के जवाब इसमें आपको मिलेगा। तो सबसे पहले विधायक और विधान पार्षद में अंतर समझ लेते हैं..

क.  विधायक विधानसभा के सदस्य होते हैं, जबकि विधान पार्षद विधान परिषद के सदस्य होते हैं
ख.  विधायक को सीधे जनता चुनती है, जबकि विधान पार्षद का चुनाव सीधे जनता नहीं करती है
ग.  विधायक का अपना एक निश्चित विधानसभा क्षेत्र होता है जहां की जनता उन्हें चुनती है । लेकिन विधान पार्षद का कोई ऐसा क्षेत्र बना नहीं होता है ।
घ.  विधायक का कार्यकाल 5 साल का होता है, जबकि विधान पार्षद का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है।
ड़  विधायक बनने के लिए कम से कम 25 साल की उम्र होनी चाहिए जबकि विधान पार्षद बनने के लिए कम से कम 30 साल की उम्र होनी चाहिए

अब बात विधानसभा और विधानपरिषद की करते हैं। देश में कुल 29 राज्य हैं । जिसमें से 7 राज्यों में ही विधानपरिषद है । जिन राज्यों में विधान परिषद हैं उनके नाम हैं आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ।लेकिन इसके अलावा राजस्थान और असम में भी विधानपरिषद के गठन की मंजूरी दे दी गई है । जबकि देश के 29 राज्यों के अलावा दिल्ली और पुडुचेरी में भी विधानसभा हैं । यानि मौजूदा समय में देश में कुल 31 विधानसभा हैं ।
अब बात बिहार के परिपेक्ष्य में करते हैं बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं। जबकि विधान परिषद की कुल सीटें 75 है । संविधान के मुताबिक विधान परिषद के सदस्यों की संख्या विधानसभा की संख्या के एक तिहाई से ज्यादा नहीं होनी चाहिए । विधानसभा और विधानपरिषद में अंतर समझिए

क. विधानसभा की अवधि 5 साल की होती है जबकि विधानपरिषद का विधटन नहीं होता है ।
ख. विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होते हैं जबकि विधानपरिषद में सभापति और उपसभापति होते हैं
ग. विधानसभा के सदस्य बनने के लिए न्यूनतम उम्र 25 साल होनी चाहिए जबकि विधानपरिषद के लिए 30 साल
घ. विधान परिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई हर दूसरे साल रिटायर हो जाते हैं जबकि विधानसभा में ऐसा नहीं है

अब बात विधानसभा और विधानपरिषद की शक्तियों का यानि विधायक और विधान पार्षद में कौन ज्यादा ताकतवर है
विधानसभा के सामने विधानपरिषद की शक्तियां बहुत ही कम होती है ।
क. विधानपरिषद का जन्म ही विधानसभा पर टीका होता है ।
ख. विधानपरिषद के एक तिहाई सदस्यों का चुनाव विधानसभा यानि विधायक करते हैं ।
ग. मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होता है न की विधानपरिषद के
घ. विधानपरिषद धन विधेयक को न तो अस्वीकार कर सकता है और न ही कोई संशोधन कर सकता है
ड़. अगर कोई विधेयक विधानपरिषद में पेश और वहां से पारित भी हो गया लेकिन विधानसभा में वो विधेयक पारित नहीं होता है तो वो विधेयक खुद ब खुद खत्म हो जाता है
च. अगर कोई विधेयक विधानसभा में पारित हो गई है तो विधानपरिषद इसमें सिर्फ सुझाव दे सकती है । अगर वो तीन महीने तक बिल को रोक कर रखती है तो वो खुद ब खुद पास माना जाएगा । यानि विधानसभा से पारित विधेयक को विधानपरिषद रोक नहीं सकती है ।
आपको ये लेख कैसा लगा ? अच्छा या बुरा दोनों बातें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें । ताकि सुधार किया जा सके

Load More Related Articles
Load More By Nalanda Live
Load More In जॉब एंड एजुकेशन

Leave a Reply

Check Also

बिहार में महागठबंधन को एक और बड़ा झटका.. एक और विधायक का विकेट गिरा.. जानिए पूरा मामला

बिहार में महागठबंधन को एक और बड़ा झटका लगा है । पहले स्पीकर की कुर्सी गई.. फिर फ्लोर टेस्ट…