
लालजी टंडन को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया है। वे सत्यपाल मलिक की जगह लेंगे। सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर भेज दिया गया है। यानि उन्हें जम्मू कश्मीर का गवर्नर बनाया गया है।
कौन हैं लालजी टंडन
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ था। बीजेपी के सीनियर लीडर लालजी टंडन ने वार्ड पार्षद से लेकर लेकर सांसद और मंत्री तक का सफर तय किया था। अब उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
अटल जी के राजनीतिक मैनेजर थे टंडन
लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पॉलिटिकल मैनेजर रह चुके हैं। अटल जी जब लखनऊ से चुनाव लड़ते थे तो उनके चुनाव का पूरा प्रबंधन लालजी टंडन के हाथों में होता था. कहा जाता है कि साल 1991 से लेकर 2009 तक अटल जी लगातार लखनऊ से सांसद बने और चुनाव प्रबंधन की पूरी जिम्मेदार लालजी टंडन के हाथों में होता था।
साल 2009 में सांसद बने लालजी टंडन
साल 2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास लिया तो वे लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़े और 2009 में लोकसभा के लिए चुने गए। साल 2014 में भी लखनऊ से उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही थी। लेकिन लखनऊ से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को टिकट दिया गया और राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद बने। बदले में जब यूपी में योगी सरकार बनीं तो लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन को मंत्री बनाया गया
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लालजी टंडन का राजनीतिक सफरनामा
लालजी टंडन साल 1978 से 1984 के बीच में दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। साथ ही विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे। इसे बाद 1990 से 1996 तक विधायक रहे। इसके बाद 1996 से लेकर 2009 तक लगातार वे तीन बार विधायक बने। साथ ही 2003 से 2007 तक वे यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे। जब पहली बार कल्याण सिंह की सरकार बनी तब भी वो मंत्री रहे। इसके बाद जब मायावती और कल्याण सिंह के गठजोड़ से सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया गया।
विवादों में लालजी टंडन
साल 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान लालजी टंडन पर गंभीर आरोप लगे थे। जिसमें गरीब महिलाओं को मुफ्त में साड़ी बांटने के दौरान भगदड़ मच गई थी। इस दौरान 21 लोगों की मौत हो गई। हालांकि बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया था।
लालजी टंडन का अनकहा लखनऊ
लालजी टंडन ने लखनऊ पर अनकहा लखनऊ नाम से एक पुस्तक लिखी है। जिसका विमोचन उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने किया था। इस मौके पर राज्यपाल रामनाइक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। अनकहा लखनऊ में उन्होंने लिखा है कि जिस इतिहास में शौर्य किनारे हो जाए और विलासिता आगे हो जाए तो समझ लीजिए वह इतिहास नहीं कोरी बेईमानी है।…इतिहासकारों की कृपादृष्टि रंगमहल की कहानियों, बेगमों की कोठियों व उनके षडयंत्र के प्रकारों, अय्याशियों पर केंद्रित हो जाने से लखनऊ की विशेषता न जाने कहां दब गई और सामने आ खड़ी हुई विलासिता, कुटिलता, कुछ चंद इमारतें, कुछ चंद लोग।