
रिश्तों को समझना, निभाना व्यक्तित्व की कई खूबियां देता है। देखें, आपके बच्चे में ये न चूकें। मैं, मेरा, मुझे… आपने भी अक्सर कई बच्चों को इसी भाषा में बातें करते हुए सुना होगा। वे न तो अपने खिलौने किसी के साथ बांटना चाहते हैं और न ही कोई और चीज़। घर में कोई रिश्तेदार या सगे-सम्बंधी आते हैं, तो बच्चे अपने कमरे में ही रहना पसंद करते हैं। किसी शादी या पारिवारिक सम्मेलनों में जाने से ज़्यादा वे गेम ज़ोन या मूवी देखने जाना पसंद करते हैं। कई बार देखा जाता है कि छोटे-छोटे बच्चे भी रिश्तेदारों से मेल-जोल नहीं रखते हैं। इस व्यवहार की मां-बाप भी अनदेखी करते हैं जबकि अपनों से दूरी बनाना बच्चे के भविष्य के लिए खतरनाक है। ऐसे में अभिभावकों के लिए आवश्यक है कि समय रहते बच्चों को रिश्तों की अहमियत समझाएं और खुद भी सचेत हो जाएं ताकि उन्हें व स्वयं को कुछ दुष्परिणाम न देखने पड़ें।