उपेंद्र कुशवाहा का पूरा इंटरव्य पढ़िए.. तेजस्वी,नीतीश,पासवान और मांझी पर क्या कहा

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बिहार में चार महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सत्तापक्ष औऱ विपक्ष एक दूसरे पर वार कर रहे हैं. ऐसे में
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार चुनाव में महागठबंधन की संभावनाओं पर अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को खास इंटरव्यू दिया है. पढ़िए उसका हिंदी रुपांतर

सवाल- बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने ही बचे हैं।अब हवा किस तरफ बह रही है?
जवाब- नीतीश कुमार ने इस पक्ष या उस पक्ष के साथ भले ही 15 साल पूरे कर लिए हों मगर बिहार की जनता उनकी असलियत समझ चुकी है। कई चीजें खुलकर सामने आ गई हैं। उन्होंने हमेशा कहा कि बिहार से पलायन रुका है। मगर लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप ने बिहार में रोजगार की बात आने पर लोगों की वास्तविक स्थिति को उजागर कर दिया है। प्रदेश में शिक्षा के मामले में भी यही स्थिति है।वह परिवर्तन का वादा करते हुए सत्ता में आए थे। खासतौर पर पढ़ाई (शिक्षा), दवाई (चिकिस्ता) और कमाई (आजीविका) के संबंध में उन्होंने जोर दिया था। उन्होंने पांच साल मांगे मगर बिहार की जनता ने उन्हें 15 साल दिए और इन मोर्चों पर कुछ नहीं कर सके। बदलाव के लिए कानून व्यवस्था उनका दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र था। उन्होंने प्रदेश में कानून का शासन सुनिश्चित करने का वादा किया था। आज हत्या, अपहरण, लूट और बलात्कार के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। नीतीश सरकार हर मोर्चे पर विफल रही हैं। अब उनका सत्ता से बाहर होना निश्चित है।

सवाल- मगर वो कहेंगे कि उनके 15 साल आरजेडी प्रमुख लालू यादव के पिछले 15 साल के शासन से बेहतर हैं?
जवाब- पिछले 15 सालों से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए लोगों ने उन्हें 15 साल नहीं दिए। उन्होंने यह नहीं कहा था। हम तब सहयोगी थी। वो हर जगह कहते थे कि बिहार को एक विकसित राज्य बनाऊंगा। अब उन्हें जवाब देना होगा कि बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए उन्होंने क्या किया है और अब क्या स्थिति है। कितने लोगों को रोजगार दिया गया है और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए क्या किया गया? क्या एक भी नया उद्योग या कारखाना लगाया गया है? कुछ भी तो नहीं किया। वास्तव में उद्योगों को बंद कर दिया गया। जूट मिलें और चीनी मिलें बंद हो गईं। पिछले 15 सालों के साथ उनके 15 सालों की तुलना करने का कोई मतलब नहीं है। वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश जरूर करेंगे मगर लोग उसपर भरोसा नहीं करेंगे।

सवाल- कहा जाता है कि महागठबंधन में मतभेद हैं?
जवाब- कोई मतभेद नहीं हैं। जब एक परिवार में पांच लोग होते हैं, तो यह स्वाभाविक है कि कुछ मुद्दों पर… चलता है। लेकिन अगर कोई मतभेद हैं तो हम उन्हें समय पर हल करेंगे। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसे हम हल नहीं कर सकते हैं और जिस पर हमें बहुत अधिक ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता है।

सवाल– क्या महागठबंधन में रामविलास पासवान की लोजपा के लिए जगह है?
जवाब- मुझे लगता है कि पासवानजी केवल गठबंधन में अपनी पार्टी की सीटों की हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके बयानों और प्रयासों को अलग तरीके से नहीं पढ़ा जाना चाहिए।
सवाल- क्या आपने गठबंधन में सीट बंटवारे पर फैसला कर लिया है?
जवाब- बातजीत जारी है। यह कहां तक ​​पहुंची है, वो आंतरिक मामला है। आपको बता नहीं सकता। ये उचित नहीं है।

सवाल- चुनाव के दौरान महागठबंधन का क्या एक समान घोषणापत्र होगा?
जवाब- एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम के लिए एक प्रस्ताव है। हम इस पर विचार कर रहे हैं और इस पर सर्वसम्मति भी है।

सवाल- फिर आम चेहरे (सीएम उम्मीदवार) पर सहमति क्यों नहीं बनती?
जवाब- ऐसा नहीं है कि सहमति नहीं बनती। मैं कहता हूं कि सिर्फ कोई फैसला नहीं लिया गया है।

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