संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 के नतीजे घोषित कर दिए हैं. जिसमें नालंदा की बेटी ने भी सफलता हासिल की है। नालंदा की सपना कुमारी को 806 वां रैंक मिला है। सपना ने ये सफलता दूसरे प्रयास में हासिल की है।
रहुई की रहने वाली है सपना
सपना मूलत: नालंदा जिला के रहुई प्रखंड के इमामगंज गांव की रहने वाली है। सपना के पिता डॉ. गणेश प्रसाद फिजियोथेरेपिस्ट हैं. जबकि मां आशा सिन्हा गृहिणी हैं।
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कहां से की पढ़ाई लिखाई
सपना की शुरुआती पढ़ाई लिखाई बिशप स्कॉट स्कूल रांची से हुई. इसके बाद गंगा इंटरनेशनल स्कूल से प्लस टू किया। जिसके बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गईं. जहां दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित दिल्ली के मिरांडा हाउस से इकॉनमिक्स से स्नातक किया.
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
सपना ने बताया कि दूसरे प्रयास में ही उन्हें यह सफलता मिली है। नौकरी में रहते हुए फिर प्रयास करूंगी ताकि अच्छा रैंक आ सके। समाज में बड़े बदलाव के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
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कूड़े के ढेर से मिली प्रेरणा
सुनने में बात अजीब लगेगी, पर गांव में लगे कूड़े के अंबार ने सपना को सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित किया। सपना ने बताया कि बचपन से लेकर अब तक जब भी वह घर जाती तो रास्ते में उन्हें कूड़े का अंबार दिखता। गांव के प्रति प्रशासनिक उदासीनता को देखकर खुद प्रशासक बनने की ठान ली। ताकि किसी गांव की अनदेखी न हो सके।
पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है
सपना दो भाई और इकलौती बहन है। सपना का एक भाई कुमार विक्रम अमृतसर से फिजियोथेरेपी में पीजी कर रहा है। वहीं छोटा भाई दीपक ने आईआईटी धनबाद से बी टेक किया है। सपना दिल्ली के मिरांडा हाउस से इकॉनमिक्स से स्नातक किया। सपना ने नेट और जीआरएफ क्लियर कर चुकी हैं
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सपना का संदेश
सपना ने बताया कि बहुत सारे लोग असफल होने पर अपसेट हो जाते हैं। लेकिन यह गलत है। अगर मेरा यूपीएससी में रिजल्ट नहीं होता तो मैं प्रोफेसर होती। दूसरी बात मैं कहूंगी कि अपनी जड़ों को न भूलें। जो करें, उसमें अपना बेस्ट दें। यूपीएससी जीवन का आखिरी पड़ाव नहीं है। लोग अक्सर रेस का हिस्सा बन जाते हैं, यह ठीक नहीं है। किसी खास संघर्ष से नहीं जूझना पड़ा लेकिन पढ़ाई के लिए बचपन से ही घर से दूर होस्टल में रही। पर्व में भी कम ही आ पाती थी। मां-पिता के साथ न रह पाने की कमी खलती थी लेकिन पढ़ाई के लिए इसे सहर्ष स्वीकार किया।