
अटल बिहारी वाजपेयी लगातार तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। अटल जी का जीवन राजनीति, कविता और सादगी के बीच बीता। लेकिन जीवन से जुड़ा एक सवाल ऐसा है, जिसका सही-सही जवाब और ठोस कारण किसी को नहीं पता! सवाल ये कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी क्यों नहीं की?

‘अविवाहित हूं, कुंवारा नहीं’
संसद में विपक्ष अटल जी पर हमलावर था. अटल जी की निजी जिंदगी पर सवाल उठाए गए. तब अटल जी ने बड़ी साफगोई के साथ संसद में कहा था, ‘मैं अविवाहित जरूर हूं, लेकिन कुंवारा नहीं।’ जिसके बाद पूरा विपक्ष शांत पड़ गया था
व्यस्तता की वजह से नहीं हो पाई शादी
अटल जी से जब भी उनकी शादी को लेकर पत्रकार सवाल पूछते तो वे बड़ी शांति और संयमित अंदाज में जवाब देते। वे कहते कि व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं हो पाया। हां, यह भी जरूर था कि हर बार यह कहकर वह धीरे से मुस्कुरा देते थे। उनके करीबियों का भी यही मानना है कि राजनीतिक सेवा को खुद को समर्पित कर देने के कारण वह आजीवन अविवाहित रहे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था।
कौन थीं राजकुमारी कौल
राजकुमारी कौल जी अटल जी की कॉलेज के जमाने की मित्र थीं. दोनों ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज ( जिसे अब लक्ष्मीबाई कॉलेज कहा जाता है) में साथ-साथ पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद दोनों का साथ छूट गया. अटल जी राजनीति में आ गए. राजकुमारी कौल दिल्ली में प्रोफेसर हो गईं

‘वो चिट्ठी जो किताब में रह गई’
कहा जाता है कि अटल जी अपनी इस महिला मित्र से प्रेम करते थे। कुछ जानकार और किताबें इस बात का भी हवाला देती हैं कि वाजपेयी जी ने कॉलेज के दिनों में कौल को एक चिट्ठी लिख प्यार का इजहार भी किया था। लेकिन उसका कोई जवाब उन्हें कभी नहीं मिला। हालांकि, बताया यह भी जाता है कि अटल जी ने चिट्ठी जिस किताब में रखबर लाइब्रेरी में छोड़ा था, उसी किताब में राजकुमारी कौल ने जवाब भी लिखा। लेकिन वह कभी अटल जी तक पहुंचा ही नहीं। अटल जी पर लिखी गई किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस’ में इस घटना का जिक्र है।
दिल्ली में फिर गहरी हुई दोस्ती
बहरहाल, जीवन की गाड़ी आगे बढ़ी। अटल जी मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हो गए और इसी बीच राजकुमारी कौल के पिता ने उनकी शादी एक कॉलेज प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। शादी के बाद राजकुमारी कौल का परिवार दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज कैम्पस में रहने लगा। कहा जाता है कि दिल्ली में अटल जी और राजकुमारी कौल की दोस्ती फिर से गहरी हो गई। राजकुमारी कौल ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैंने और अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस बात की जरूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफाई दी जाए।’
यह रिश्ता सूझबूझ और समझदारी का था
दोनों की दोस्ती की नैतिकता ऐसी थी कि राजकुमारी कौल के पति ब्रिज नारायण कौल को भी इस पर कोई ऐतराज नहीं था। राजकुमारी कौल ने 80 के दशक में एक मैगजीन को इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने कहा, ‘अटल के साथ अपने रिश्ते को लेकर मुझे कभी अपने पति को स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ा। हमारा रिश्ता समझबूझ के स्तर पर काफी मजबूत था।’
कौल की बेटी नमिता को गोद लिया
मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ ही रहता था। अटल बिहारी वाजपेयी जब पीएम बने तो उनके सरकारी निवास पर भी राजकुमारी कौल अपनी बेटी नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य के साथ रहती थीं। अटल जी ने नमिता को दत्तक पुत्री का दर्जा दिया था और कौल परिवार ही उनकी देखरेख करता था। जिस वक्त मिसेज कौल का निधन हुआ, अटल बिहारी वाजपेयी अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो चुके थे। बावजूद इसके मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मौजूद रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे।
यानि सही मायनों में कहें तो एक ‘अटल’ प्रेमी दुनिया से चले गए, जिन्होंने अपनी मुहब्बत के लिए किसी भी सामाजिक रीति की परवाह नही की. हर चुनौती का सामना किया और अपनी मुहब्बत को दुनिया की बुरी नज़रों से बचा कर रखा.
