
सच कहा जाता है कि खुली मुट्ठी खाक की बंध गई तो लाख की.. यानि अगर किसी अच्छे मकसद के लिए लोग एकजुट हो जाते हैं तो उसका परिणाम भी निकलकर सामने आता है। ऐसा ही नालंदा जिला के एक गांव के लोगों ने किया. गांव में सड़क नहीं थी. लिहाजा गांववालों ने श्रमदान कर डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क को बना डाला
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जानिए पूरा मामला
मामला नालंदा जिला के रहुई के अंबा पंचायत की है. जहां मिल्कीपर गांव के लोगों ने सरकार और प्रशासन को कोसने की जगह खुद सड़क बनाने की ठान ली. फिर क्या था. गांववालों ने डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है. सैकड़ों गांववालों की लगातार मेहनत की वजह से लगभग डेढ़ किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य लगभग आधा पूरा भी हो चुका है।
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बिना सरकारी मदद के कर रहे हैं काम
सड़क निर्माण कार्य में ना तो कोई राजनीतिक दल ने फंडिग किया है और ना ही कोई सरकारी सहायता मिली है। ग्रामीणों ने अपने श्रमदान के बल पर ही सड़क निर्माण करवा रहे है। दरअसल, गांव के अंदर प्रवेश करने के लिए एक सड़क का निर्माण तो पिछले कई साल पहले कराया गया है लेकिन वो सड़क काफी जर्जर और दयनीय हो गई थी। हमेशा इन सड़कों पर पानी भी बहता रहता है।
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पंचायत में लिया गया फैसला
हालत ये है कि शादी विवाह के मौके पर छोटी और बड़ी गाड़ियों को भी गांव के बाहर ही रोककर वहां से पैदल जाने को मजबूर थे. इन सब समस्याओं को देखते हुए लॉकडाउन के दौरान गांववालों ने पंचायत बुलाई.. जिसमें ये फैसला लिया गया कि सब लोग श्रमदान कर इस सड़क निर्माण करेंगे. फिर क्या था गांव वालों ने श्रमदान और आर्थिक सहयोग किया और सड़क बनाने का काम शुरू हो गया. कड़ी धूप बरसात की बिना परवाह किए रात दिन एक कर के अपना श्रमदान से इस सड़क का निर्माण कार्य कर रहे हैं।