
कोरोना संकट को लेकर नीतीश सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. ये बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. बैठक में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी हिस्सा लिया. जिसमें उन्होंने सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी
अधिकारियों पर मनमानी का आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने में जनप्रतिनिधियों को दरकिनार किया जा रहा है. अधिकारी जनप्रतिनिधियों की सुनते नहीं है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राहत और बचाव कार्यों में जनप्रतिनिधियों की सेवा ली जाए ताकि अधिकारी मनमानी ना कर सकें.
कम मामले को लेकर ना थपथपाएं पीठ
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार सरकार राज्य में कोरोना की कम संख्या को लेकर पीठ ना थपथपाए. जब बिहार में कोरोना की जांच ही सबसे कम हो रही है तो ज़ाहिर है मामले भी कम ही होंगे. दूसरे राज्यों में अधिक जांच हो रही है, इसलिए वहां अधिक मामले हैं. बिहार में औसतन 1200 से 1300 ही जांच हो पा रही है जबकि प्रतिदिन इसे बढ़ाकर 3000 से 5000 करना चाहिए. बिहार में विगत 60 दिनों में अब तक कुल 28345 ही जांच हुई है. अर्थात् औसतन 10 लाख लोगों पर केवल 224 लोगों की ही जांच हो रही है.
रैंडम टेस्ट की मांग
तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार को प्रत्येक कमिशनरी में कोरोना समर्पित अस्पताल संचालित करने चाहिए. रैंडम जांच होनी चाहिए. जब बिना लक्षण के ही लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए जा रहे है तो फिर डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग का ज़्यादा महत्व नहीं रह जाता. इसलिए प्रदेश में जांच की संख्या हर हाल में बढ़ाई जाए.
नोडल अधिकारी के नंबर बंद
तेजस्वी यादव ने कहा कि नोडल अधिकारियों के नंबर बंद बता रहे हैं. हेल्पलाइन सीमित है. पंजीकरण पोर्टल का लिंक डाउन है. मदद के लिए जारी किए गए लैंडलाइन नंबर लगते नहीं हैं, लगते हैं तो अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता हैं!
सरकार को सुझाव
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उनका एक सुझाव और सरकार से निवेदन है कि अप्रवासियों की परेशानियों को देखते हुए IVR सिस्टम वाले टेलिफ़ोन नंबर जारी करें ताकि लोग अपनी विवरणी कॉल के माध्यम से दर्ज कर सकें. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि ज़्यादातर मज़दूर भाई कम पढ़े लिखे हैं. इसलिए उनको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में दिक़्क़त हो रही है. इसके अलावा वेबसाइट खुल भी नहीं रहा है. दक्षिण भारत में फंसे अप्रवासियों के लिए भाषा भी एक बाधा है.
नई गाइडलाइन से परेशानी
नेता प्रतिपक्ष ने केंद्रीय गृह सचिव के 3 मई के पत्रांक और आदेश संख्या-40-3/2020-DM-1(A) का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के नए आदेश से बिहारी अप्रवासी मज़दूर भाईयों की वापसी में अड़चन पैदा होगी. तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार की डबल इंजन सरकार इस आदेश में तब्दीली करवाए. वैसे भी सरकार कहती है कि केंद्र सरकार इनकी हर मांग को मानती है.
कब तक वापस आएंगे श्रमवीर
नीतीश सरकार पर हमला करते हुए तेजस्वी यादव ने पूछा कि सरकार बताए कि बिहार के श्रमवीर कब तक वापस आएंगे? कितने दिन में वापस आएंगे और कितनी ट्रेनों में वापस आएंगे. उन्होंने आंकड़ा देकर बताया कि भारतीय रेलवे के पास 12000 से अधिक रेलगाड़ियां है और सारी अभी खाली खड़ी है. बिहार सरकार क्यों नहीं अधिक से अधिक संख्या में उन रेलगाड़ियों से बिहारीवासियों को यथाशीघ्र वापस बुलवाती? उन्होंने अप्रवासी मज़दूर भाईयों को यात्रा से पहले किराया देने का आग्रह किया.
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि केंद्र सरकार से जो मदद अथवा सहयोग मिल रहा है उसकी जानकारी भी पब्लिक डोमेन में सरकार की ओर से अवश्य जारी किया जाना चाहिए ताकि सबको पता लगे कि केंद्र सरकार का बिहार को लेकर क्या रवैया है?