
नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी के दफ्तर में उस समय अफरातफरी का माहौल देखने को मिला. जब पटना से निगरानी की टीम वहां पहुंची. निगरानी की टीम ने पांच घंटे तक शिक्षा विभाग की फाइलें खंगाली और शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों से भी पूछताछ की. नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार के मुताबिक एचएम पदस्थापना में कथित अवमानना को लेकर निगरानी की टीम शिक्षा विभाग पहुंची।
निगरानी की टीम ने क्या-क्या सवाल पूछे
निगरानी की टीम ने शिक्षकों और अधिकारियों से पदस्थापन से संबंधित कई सवाल पूछे।
1. पदस्थापन नियम के अनुसार हुई या नहीं ?
2. लॉटरी के पदस्थापन से आप संतुष्ट हैं या नहीं ?
3. पदस्थापन प्रक्रिया में किसी प्रकार के अवैध लेन-देन की बात आयी है या नहीं ? अगर आयी है, तो साक्ष्य दें.
4. 220 शिक्षकों के इंकार के बाद 124 शिक्षकों ने पदस्थापन प्रक्रिया में भाग कैसे लिया ?
5. कितने शिक्षकों ने उच्च न्यायालय से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश लिया ?
क्या है मामला
29 अक्टूबर 2016 को जिले के 350 शिक्षकों को प्रोन्नति देते हुए लॉटरी के माध्यम से एचएम यानि हेडमास्टर के पद पर पदस्थापन किया गया। इस मामले को विभागीय नियम के विरुद्ध होने के कारण बिहार अराजपत्रित शिक्षक संघ ने विरोध किया था। जबकि, प्राथमिक शिक्षक संघ ने उच्च न्यायालय में इस मामले में रिट याचिका दायर की थी। याचिका पर उच्च न्यायालय ने लॉटरी से हुए पदस्थापन को गलत ठहराते हुए पुन: काउंसिलिंग के माध्यम से डीडीओ विद्यालय, सीआरसी विद्यालय तथा अन्य विद्यालयों में अनुपातिक प्रधानाध्यापकों के पदस्थापन सीनियरिटी कम च्वॉयस के आधार पर करने का आदेश दिया था। इस आदेश के आलोक में पदस्थापन के बाद निदेशक प्राथमिक शिक्षा के अनुमोदन के बाद 5 मई 2018 को हेडमास्टरों का पुन: पदस्थापन किया गया। 17 प्रधानाध्यापकों द्वारा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को गलत तथ्यों को देकर मामला को उलझाया गया। इसके आलोक में प्राथमिक शिक्षक संघ ने उच्च न्यायालय में अवमाननावाद दायर किया था। सुनवाई के क्रम में प्रधानाध्यापकों के पदस्थापन की जांच निगरानी को सौंपी गयी थी।