दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूरों को लेकर नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. किसी भी प्रवासी मजदूर को घर नहीं जाने दिया जाएगा. बल्कि उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया जाएगा.
14 दिन तक बॉर्डर पर ही रहेंगे
बिहार सरकार ने सीमावर्ती जिलों में ‘डिजास्टर बॉर्डर रिलीफ कैम्प’ बनाने का फैसला किया है। जिसमें दूसरे प्रदेश से आने वाले प्रवासी मजदूरों को रखा जाएगा. प्रवासी मजदूरों को इन कैंपों में 14 दिनों तक रखा जाएगा. जहां इन्हें मुफ्त में खाना पानी और कपड़े मिलेंगे. साथ ही डॉक्टरी जांच की सुविधा भी मिलेगी.
बता दें कि देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने में फैले बिहार के कामगार हर हाल में अपने राज्य लौटना चाहते हैं. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से इनके सामने आवागमन की समस्या है. शनिवार को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर हजारों मजदूर अपने घरों को जाने के लिए उमड़ पड़े थे. इससे यहां अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी. इनमें से कुछ मजदूर यूपी जाना चाह रहे थे तो कुछ मजदूर बिहार चाह रहे थे.
बॉर्डर वाले जिलों को दिए गए निर्देश
मीटिंग में नीतीश ने कहा कि सरकार कोरोना वायरस लॉकडाउन में लोगों के फंसे होने की हालत को आपदा मान रही है और ऐसे लोगों की मदद अन्य आपदा पीड़ितों की तरह ही की जाएगी। सीएम संग मीटिंग के बाद, मुख्य सचिव दीपक कुमार ने राज्य के सभी सीमावर्ती जिलों- भागलपुर, सीतामढ़ी, भोजपुर, कैमूर, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, बांका, जमुई, नवादा, गया, मधुबनी, सुपौल,औरंगाबाद, बक्सर, छपरा, सीवान एवं गोपालगंज के जिलाधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक कर उन्हें फौरन कार्रवाई का निर्देश दिया।