बिहारशरीफ को स्मार्ट बनाने के लिए सबसे पहले कचड़ा प्रबंधन की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए टिकुली पर में कंपोस्ट पिट बनाने का फैसला लिया गया है। यहां घर, होटल, रेस्टोरेंट्स आदि से निकलने वाले गीले कचड़े से कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। वेट वेस्ट यानि गीला कचड़ा की लिफ्टिंग और डंपिंग समस्या के समाधान को लेकर बिहारशरीफ नगर निगम सबसे पहले टिकुली पर स्थित पार्क में कंपोस्ट पिट बनाने जा रही है।
क्या है कंपोस्ट पिट जानिए
कंपोस्ट पिट के लिए पार्क में तीन बाई डेढ़ मीटर का गड्ढा खुदवाया जाएगा। इसमें गीले कचड़े को डंप कर दिया जाएगा। तकरीबन 100 से 120 दिनों बाद इस गड्ढे में डंप कूड़े से खाद तैयार हो जाएगा। जिसका इस्तेमाल पार्कों में हरियाली बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
कंपोस्ट पिट के फायदे
कंपोस्ट पिट बनाने के कई फायदे हैं। एक तो गीले कचड़े का समाधान हो जाएगा दूसरा इससे तैयार होने वाली खाद से शहर के पार्कों, स्कूलों, कॉलेजों, होटलों की खाली पड़ी जमीन को भी हरा-भरा बनाया जा सकता है। तीसरा आपसास के लोगों को इससे असुविधा भी नहीं होती है। यानि मोहल्ले में रहने वाले लोगों को दुर्गंध आदि से दो चार नहीं होना पड़ेगा
पार्क से अतिक्रमण हटाया जाएगा
टिकुली पर स्थित पार्क में लोगों ने तबेला बना दिया गया है। पार्क पर अतिक्रमण कर लोगों ने गाय और भैंस बांधना शुरू कर दिया है। ऐसे में पार्क को कब्जा मुक्त बनाने के लिए ही नगर नगर ने इसे कंपोस्ट पिट बनाने का फैसला लिया है। ताकि एक तो पार्क कब्जा मुक्त हो जाएगा । साथ ही कचड़ा प्रबंधन कर जैविक खाद तैयार किया जाएगा। यानि एक पंथ दो काज हो जाएगा।
एरोबिक विधि से बनाया जाएगा जैविक खाद
एरोबिक विधि एक ऐसा सिस्टम है जिसके तहत एक कम्पोस्टिंग पिट बनाया जाता है। कंपोस्टिंग पिट को इस तरह बनाया जाता है कि मिट्टी, गोबर, केंचुआ और जैविक कचड़ा को परत दर परत रखा जाता है। इस पिट की बनावट इस तरह की होती है कि कचड़ा का हवा से संपर्क बना रहे। हवा के संपर्क में रहने के कारण इससे बनने वाला गैस हवा में उड़ जाता है और कचड़ा सड़कर खाद बन जाता है। जैविक कचड़ा जैसे फल, फूल, सब्जी के छिलके, चायपत्ती, चारा-भूसा आदि का संग्रह कर यहां लाया जाएगा और उससे जैविक खाद बनाया जाएगा।
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