बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है. कांग्रेस पार्टी उम्मीदवारों के चयन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया. क्योंकि इस कमेटी की अनुशंसा के बाद ही आलाकमान उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करती है.
स्क्रीनिंग कमेटी में कौन-कौन
कांग्रेस पार्टी के पूर्व महासचिव अविनाश पांडे की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है. देवेंद्र यादव और काजी निजामुद्दीन को इस समिति का सदस्य बनाया गया है. जबकि कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह इस समिति में पदेन सदस्य होंगे. स्क्रीनिंग कमेटी चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजती है जिसके बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची पर मुहर लगती है.
26 विधायकों को पहले ही ग्रीन सिंग्नल
आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी 26 विधायकों को पहले ही टिकट देने का एलान कर चुकी है. पार्टी कह चुकी है कि वे भी विधायक टिकट की चिंता ना करें. वे अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार में अभी से जुट जाएं.
शकील अहमद की वापसी
लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट को लेकर बगावत करने वाले शकील अहमद की कांग्रेस पार्टी में वापसी हो गई है. पार्टी ने उनका निलंबन वापस ले लिया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर शकील बागी हो गए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मधुबनी सीट से चुनाव लड़े थे। इसके चलते पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निलंबित कर दिया था। बिहार में शकील अहमद बड़े मुस्लिम चेहरों में से एक हैं। शकील मधुबनी सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। वह मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में शकील मधुबनी लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट चाहते थे। महागठबंधन में जब सीटों का बंटवारा हुआ तो सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के खाते में चली गई। वीआईपी ने बद्रीनाथ पूर्वे को उम्मीदवार बनाया। टिकट न मिलने से नाराज शकील अहमद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे। यहां से बीजेपी के अशोक कुमार यादव को जीत मिली थी।