
बिहारशरीफ मंडल कारा में अचानक छापेमारी से हड़कंप मच गया। नालंदा के डीएम डॉक्टर त्यागराजन और एसपी सुधीर कुमार पोरिका लाव लश्कर के साथ मंडल कारा पहुंचे तो अफरातफरी मच गई। अधिकारियों के साथ करीब 200 जवानों ने जेल का चप्पा-चप्पा छान मारा। लेकिन पुलिस प्रशासन को खैनी की पुड़िया, चुनौटी और ताश की गड्डी के अलावा कुछ नहीं मिला।
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पहले कैदियों के बैरक की तलाशी हुई
अधिकारियों की टीम ने सबसे पहले कैदी वार्डों की तलाशी शुरू की। महिला जवानों ने महिला कैदियों के वार्डों की तलाशी ली। महिला कैदियों के साथ उनके सात साल के बच्चे भी वार्ड में मौजूद थे। ऐसे में डीएम त्यागराजन और एसपी पोरिका ने महिला कैदियों और उनके छोटे बच्चों का विशेष ख्याल रखने का निर्देश दिया । साथ ही वैसलिन पर रोक लगाने का आदेश दिया। छापेमारी में डीएम और एसपी के अलावा एएसपी सत्यप्रकाश मिश्रा, वरीय उपसमाहर्ता रामबाबू, जेल अधीक्षक युसूफ रिजवान, एसडीओ जनार्दन प्रसाद अग्रवाल, एसडीपीओ इमरान परवेज के साथ भारी मात्रा में महिला और पुरुष पुलिसकर्मी शामिल थे।
कई जगह जमीन खोदकर ली गई तलाशी
जेल परिसर का हर कोना छाना गया। झाड़ियों के साथ ही कई जगह शक होने पर जमीन की खुदाई भी की गयी। करीब तीन घंटे तक अधिकारी जेल में खोजबीन करते रहे। लेकिन खैनी और ताश के अलावा कुछ नहीं मिला।
ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई बिहारशरीफ जेल की व्यवस्था इतनी चुस्त हो गई है कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है? यानि किसी भी हाईप्रोफाइल कैदी के पास मोबाइल और दूसरे सामान नहीं है? या फिर छापेमारी की सूचना पहले ही जेल अधिकारियों को मिल गई थी ? जिसके बाद सब सेटिंग हो गई और संदिग्ध सामानों को शिफ्ट कर दिया गया?