बिहार में चमकी बुखार और लू से लोग मर रहे हैं। तो वहीं, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लंदन में मजे कर रहे है। चमकी बुखार के कहर से बिहार के 12 जिलों के 505 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं. इनमें से 144 बच्चों की मौत हो चुकी है. अभी भी 171 बच्चों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में किया जा रहा है. इनमें से 40 बच्चों की हालत गंभीर मानी जा रही है. इस मामले में बिहार सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक की नाकामी खुलकर सामने आ रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब खुलकर सामने भी आ रहा है. ऐसे में प्रदेश में विपक्ष की भूमिका की तलाश की जा रही है, लेकिन विडंबना ये है कि बिहार में विपक्ष का कोई नेता ही नजर नहीं आ रहा है.
28 मई से ‘विलुप्त’ हो गए तेजस्वी
23 मई को लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही तेजस्वी यादव लगभग ‘गायब’ हो गए हैं. हालांकि 28 मई को आरजेडी की समीक्षा बैठक में वे नजर आए थे, लेकिन इसके बाद वे विलुप्त हो गए हैं. जाहिर है तेजस्वी कहां हैं? यह किसी को भी पता नहीं है.
रघुवंश प्रसाद सिंह ने किया कटाक्ष !
जब राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह से तेजस्वी यादव को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता तेजस्वी कहां हैं, शायद वह क्रिकेट विश्वकप देखने गए हैं, मुझे ज्यादा जानकारी नहीं हैं. यह मेरा अनुमान है
‘तेजस्वी पक्के पॉलिटिशियन नहीं’
जानकारों की राय में तेजस्वी यादव का यह तौर-तरीका बताता है कि वह अभी पक्के पॉलिटिशियन नहीं बने हैं. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय सवाल पूछते हुए कहते हैं कि आखिर कब तक भागेंगे तेजस्वी? क्या भागने से कुछ होगा? उल्टा कार्यकर्ताओं का मनोबल इतना गिर जाएगा कि फिर उसे उठा पाना मुश्किल होगा.
‘मझधार में विपक्ष की राजनीति’
बकौल रवि उपाध्याय यह तय माना जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष होने के नाते आरजेडी और महागठबंधन का नेतृत्व भी उन्हीं के पास रहेगा. ऐसे में एक ओर दूसरी पार्टियां जहां 2020 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गई हैं वहीं तेजस्वी के गायब रहने विपक्ष की राजनीति पर उल्टा असर पड़ेगा.
‘नीतीश कुमार को मिला वाकओवर’
रवि उपाध्याय कहते हैं कि चमकी बुखार से लगातार हो रही मौत पर एक तरह से तेजस्वी ने नीतीश कुमार की सरकार को वाकओवर दे दिया है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद यह ऐसा मुद्दा था कि तेजस्वी 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने लिए संजीवनी तलाश लेते.
‘तेजस्वी ने किया अनुभवहीनता का प्रदर्शन’
वहीं वरिष्ठ पत्रकार फैजान अहमद कहते हैं कि यह पूरा प्रकरण तेजस्वी यादव की अनुभवहीनता को भी दिखाता है. लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बावजूद यह उनके नेतृत्व में पहली हार है, ऐसी स्थिति में उन्हें लोगों के सामने आकर सहज तरीके से हार कबूल करना चाहिए था.
‘तेजस्वी को लेकर भ्रम की स्थिति’
बकौल फैजान अहमद तेजस्वी के बारे में कई तरह के भ्रम भी फैल रहे हैं. उनकी ही पार्टी के नेताओं के बयानों से ये कन्फ्यूजन और बढ़ रहा है. कभी भाई वीरेंद्र तेजस्वी को बीमार बताते हैं. इसी तरह रघुवंश प्रसाद सिंह ने उनके वर्ल्ड कप देखने की बात को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है.
‘कन्फ्यूजन से सत्तापक्ष को लाभ’
फैजान अहमद कहते हैं कि वह देश में या विदेश में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अगर वह फिलहाल सामने नहीं आना चाहते हैं तो भी पब्लिक से कनेक्ट करने के कई माध्यम मौजूद हैं. वह सोशल मीडिया के जरिये भी अपनी बात लोगों और कार्यकर्ताओं तक पहुंचा सकते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं.
फैजान अहमद कहते हैं कि तेजस्वी यादव का गायब होना एक तरह से आरजेडी और महागठबंधन के लिए बड़ा सेटबैक है. उन्हें जल्द से जल्द सामने आकर वस्तुस्थिति बतानी चाहिए. वरना कन्फ्यूजन का दौर आगे बढ़ेगा और इसका लाभ सत्ता पक्ष को मिलता रहेगा.
11 जून से सोशल मीडिया से भी ‘गायब’ हैं तेजस्वी
अगर तेजस्वी यादव के ट्विटर अकाउंट पर नजर दौड़ाएं तो उऩका आखिरी ट्वीट 11 जून को है, जिसमें उन्होंने अपने पिता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बर्थडे विश किया है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी लगातार तेजस्वी को ढूंढा जा रहा है और यह सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव विपक्ष की भूमिका क्यों नहीं निभा रहे हैं?