
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक चला है। मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को भी 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है ।मोदी सरकार के इस फैसले को किसी ने साहसिक बताया तो किसी ने इसे चुनावी जुमला बताया ।
तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि भारत सरकार को पहले जातिगण जनगणना के आंकड़े सामने लाने चाहिए जिससे पता चल सकेगा कि कौन सी जातियां क्या काम करती हैं।
मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती लंबे समय से गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग करती रही हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा था। सवाल उठता है कि क्या संविधान संशोधन विधेयक आने पर इस विधेयक को मायावती का नैतिक समर्थन मिलेगा, क्योंकि लोकसभा में बसपा का कोई सांसद नहीं है।
रामविलास पासवान
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी सवर्ण आरक्षण के पक्ष में रहे हैं। उन्होंने पटना में गरीब सवर्णों के पक्ष में 15 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी। देखने यह है कि वे सरकार के फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
कांग्रेस
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक का कहना है कि इस प्रकार के आरक्षण पर काफी तकनीकि दिक्कतें हैं, लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार आरक्षण देने का क्या मकसद है ये भी देखना होगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बिल आने और पास होने में काफी समय लग सकता है. सरकार इस मुद्दे को लेकर सीरियस नहीं है.
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि सरकार का ये फैसला काफी अच्छा है, इससे समाज के एक बड़े तबके को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि सवर्णों में भी कई ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.
केटीएस तुलसी
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को मजाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं, इस बिल को ये पास भी नहीं करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण बिल पास नहीं हो पा रहा है तो फिर ये बिल कैसे पास हो पाएगा.
मनोज झा, RJD
कांग्रेस नेता संजय सिंह का कहना है कि ये सिर्फ एक चुनावी जुमला है और कुछ नहीं. वहीं राजद नेता मनोज झा का कहना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस फैसले को लिया गया है. ये सिर्फ एक चुनावी जुमला है.
हार्दिक पटेल
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने सवाल उठाया है कि क्या ये सिर्फ एक चुनावी जुमला ही तो नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले काफी दिनों से संसद चल रही थी ऐसे में आखिरी दिनों में इस प्रकार का फैसला करना, ये सिर्फ एक सरकार का नया नाटक है.
शिवप्रताप शुक्ला
केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ला का कहना है कि इस तरीके का फैसला सिर्फ 56 इंच सीने वाला व्यक्ति ही ले सकता है. ये एक ऐतिहासिक फैसला है.
हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते, उन्होंने कहा कि ये फैसला चुनाव को देखते हुए किया गया है. उन्होंने कहा कि अब वो चाहे जो भी जुमला दे लें लेकिन ये सरकार बचने वाली नहीं हैं.