नालंदा जिला वासियों के लिए एक और सुखद क्षण है। देश की दूसरी सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की मूर्ति अब नालंदा के राजगीर में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मूर्ति का अनावरण किया। ये मूर्ति राजगीर के घोड़ाकटोरा झील के बीचोबीच बना है। डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी भी इसके गवाह बने।
तीनों परंपरा से की गई पूजा अर्चना
घोड़ाकटोरा में भगवान बुद्ध की मूर्ति के अनावरण समारोह में तीनों परंपरा से पूजा अर्चना की गई । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के अलावा नालंदा के डीएम डॉक्टर त्यागराजन भी मौजूद थे। बुद्धं शरणं गच्छामि के मंत्र से घोड़ाकटोरा की वादियां गूंजती रही। सबसे पहले पूजा थेरावेदा पंरपरा से महाबोधि महाविहार बोधगया सोसायटी के बौद्धानंत भंते ने किया। उसके बाद महायान परंपरा के मुताबिक की गई। जिसे राजगीर विश्व शांति स्तूप पर जापान के रहने वाले भिक्षु टी ओकेनोगी ने की। आखिर में तिब्बती परंपरा या लामा परंपरा से भी किया गया।
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भगवान बुद्ध की मूर्ति की खासियत जानिए
राजगीर के घोड़ाकटोरा झील के बीचोबीच में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। ये मूर्ति देश की दूसरी सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की मूर्ति है। ये मूर्ति 70 फीट ऊंची है। इसमें भगवान बुद्ध धर्म चक्र प्रवर्तन मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। भगवान बुद्ध की इस प्रतिमा को 29 हजार 200 आर्टिस्टों ने बनाया है। इसे बनाने में 547 दिन लगे हैं। इस प्रतिमा के निर्माण में 9.11 करोड़ और पैडस्टल पर 3.65 करोड़ लागत आयी। इसके बनाने में 45 हजार घन फीट गुलाबी रंग का सैंड स्टोन लगाया गया है। जिसे यूपी के चुनार से लाए गए हैं । आपको बता दें कि ये देश की दूसरी सबसे ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा है। इससे ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा महाबोधि मंदिर बोधगया में है।
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साल 2009 में नीतीश ने किया था ऐलान
घोड़ा कटोरा ऐतिहासिक स्थल तो था लेकिन पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर नहीं था। मान्यता है कि मगध सम्राट जरासंध का यहां अस्तबल था। इसी के आधार पर इसे घोड़ाकटोरा कहा जाता है। साल 2009 में राजगीर यात्र के दौरान नीतीश कुमार यहां घूमते-घूमते पैदल आये थे। तभी उन्होंने घोड़ा कटोरा को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनायी थी। साल 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे पर्यटक स्थल घोषित किया। 2016 से बुद्ध की प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ था। घोड़ाकटोरा देश का दूसरा इको पर्यटक स्थल है। ये पांच पहाड़ियों से घिरा हुआ एक मनोरम स्थान है। प्रतिमा के अनावरण के बाद यहां पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी। बौद्ध समुदाय के लिए यह आस्था का बड़ा केन्द्र है