
बिहार में मार्च अप्रैल में पंचायत और नगर निकाय चुनाव होने हैं. पंचायत चुनाव में बीजेपी इस बार आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की फिराक में है. इसलिए बीजेपी ने पंचायत चुनाव के लिए ‘M प्लान’ बनाया है. इसके लिए पार्टी ने सभी जिला कार्यसमितियों को निर्देश भेज दिया है।
क्या है बीजेपी का ‘M प्लान’
बिहार में बीजेपी अपने 45 सांगठनिक जिलों में कार्यसमिति की मीटिंग आयोजित कर रही है। जिसमें जिलों के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद होंगे। इन्हें पंचायत चुनाव से जुड़े अन्य कई निर्देशों के साथ ही एक अहम दायित्व सौंपा जाएगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि पंचायतों के उन मुसलमान नेताओं को चुनाव में खड़ा कराएं, जिनमें जीतने की क्षमता हो। साथ ही इस जीत के बाद बीजेपी से जुड़े भी रहे। ऐसे नेताओं को बीजेपी के पंचायत स्तर के प्रतिनिधि पूरा सहयोग करेंगे, जिससे उनके जीत की राह आसान हो सके।
‘माई’ समीकरण में सेंधमारी की कोशिश
बिहार में बीजेपी को अभी सबसे बड़ा खतरा आरजेडी से है. क्योंकि बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. आरजेडी के 75 विधायक हैं. जबकि बीजेपी के 74 विधायक हैं. ऐसे में, बीजेपी के लिए आरजेडी के मुस्लिम-यादव वोट बैंक को तोड़ना सबसे जरूरी है। यादवों पर बीजेपी ने अपना असर दिखाया है, लेकिन मुसलमान वोटरों को तोड़ने में अभी पूरी तरह से असफल रही है। सहयोगी जदयू के खाते से भी मुसलमान वोटर निकल चुके हैं। ऐसे में भाजपा जमीनी तौर पर पंचायतों में मुसलमान नेताओं को अपने समर्थन में खड़ा करना चाहती है, जिससे उनके बीच आसानी से अपनी पैठ बना सके।
चुनौती में नई संभावनाएं
बीजेपी पंचायत से लेकर विधायकों तक मुसलमान जनप्रतिनिधियों को जोड़ने में लगभग असफल रही है। इस मामले में अब तक वो जेडीयू पर निर्भर थी, लेकिन जिस तरह जदयू से मुसलमानों का वोट खिसका है, उससे बीजेपी को इसमें नई संभावनाएं और चुनौती दोनों दिख रही हैं। यही वजह है की एक तरफ जहां वो आरजेडी वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ जेडीयू से जुड़े पंचायत जनप्रतिनिधियों को भी अभी से ही अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
आरजेडी के पास सबसे अधिक मुस्लिम विधायक
आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो फिलहाल आरजेडी के पास सबसे ज्यादा मुस्लिम जनप्रतिनिधि हैं। इस बार सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम विधायक आरजेडी से जीते हैं। इसके बाद पांच विधायक असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से, चार विधायक कांग्रेस से और एक-एक विधायक सीपीआई (एम) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से जीते हैं। इस चुनाव में जेडीयू ने 11 मुस्लिम विधायकों को टिकट दिया था, लेकिन कोई भी नहीं जीत पाया।