
नालंदा समेत आधा बिहार जल संकट से जूझ रहा है . तो वहीं, 12 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. ये हालत पर्यावरण असंतुलन की वजह से हो रही है । ऐसे में बिहारशरीफ के जाने माने नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर नीतीश कुमार ने शहरवासियों को नई राह दिखाई है । उन्होंने अपने छत को ही बागवानी के तौर पर विकसित किया है । इसके लिए सरकार 25 हजार का अनुदान भी दे रही है
छत को ही बना डाला बागान
देश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर चुके डॉक्टर नीतीश ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए अपने छत को ही बागान के तौर पर विकसित किया है । वे अपनी छत पर मक्का से लेकर सेम, हरी साग, धनिया और गोभी के साथ साथ गाजर, अमरूद, अनार, स्ट्रा बेरी की उगा चुके हैं . वे सोशल मीडिया पर अक्सर इसकी तस्वीरें डालते हैं और लोगों को उत्साहित करते हैं । हालांकि इसके उन्होंने हॉर्टिकल्चर विभाग के कोई सहायता नहीं लिया है । वे अपने दम पर ही इसे विकसित किया है। डॉक्टर नीतीश का कहना है कि इससे एक ओर जहां प्रदूषण से छुटकारा मिलता है और लोगों को शुद्ध हवा मिलता है. तो वहीं दूसरी ओर छत भी ठंडा रहता है ।
सरकार भी देती है अनुदान
भले ही डॉक्टर नीतीश ने कोई अनुदान या सरकारी सहायता नहीं ली है. लेकिन अगर आप छत को बागवानी के तौर पर विकसित करते हैं तो हॉटिकल्चर विभाग हॉटिकल्चर विभाग 25 हजार रुपए का अनुदान देता है। जबकि लाभार्थी को भी अपने 25 हजार रुपए लगाने पड़ते हैं। इसके लिए कम से कम साढ़े तीन सौ स्क्वायर फीट का छत होना चाहिए। छत पर सेड लगाने से लेकर पटवन विधि का कार्य हॉटिक्लचर विभाग करती है।
ड्रिप सिस्टम से होती है सिंचाई
छत पर लगे पौधे का पटवन ड्रिप सिस्टम से किया जाता है । इसमें बड़े बोतल में स्त्रिज लगाकर पटवन किया जाता है। इसमें न तो जल की बर्बादी होती है न अधिक गंदगी ही फैलती। वहीं फसल को जल की सही मात्रा भी मिल जाती है।
क्या है विशेषज्ञ का कहना
कृषि विषय विशेषज्ञ का कहना है कि वर्तमान में किचन गार्डन का चलन है। इसमें लोग घर में ही अपने किचन के लिए सब्जियां तैयार कर रहे हैं। यह आर्थिक और सेहत के लिए भी लाभदायक है। किचन गार्डन में बिना रासायनिक पदार्थों को इस्तेमाल किए उगाया जाता है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। किचन गार्डन में धनिया के साथ अन्य सब्जियां जैसे टमाटर, हरी मिर्च, नींबू, बैगन, प्याज, आलू भी उगा सकते हैं।