
बुधवार से नवरात्र शुरू हो रहा है। अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना होगी। नवरात्र की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है। इस बार कलश स्थापना के लिए महज एक घंटा दो मिनट ही मिलेंगे। इसलिए सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी।
इस बार शारदीय नवरात्र चित्रा नक्षत्र में शुरू हो रहा है। पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।
नाव पर आएंगी मां शेरोवाली
शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। इसलिए इस बार नवरात्र काफी फलदायी माना जा रहा है। मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत इस मंत्र से करना चाहिए
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्र कलश स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
भविष्य पुराण के अनुसार कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। एक लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इस कपड़े पर थोड़ा- थोड़ा चावल या अक्षत रखना चाहिए। अक्षत रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए। एक मिट्टी के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ बोना चाहिए। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए। कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए।
कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के 5 पत्ते रखने चाहिए। कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए। अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
एक बात का ख्याल रखिए
नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है। वो सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नवरात्र कलश स्थापना मुहूर्त (Kalash Sthapana Muhurat)
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुत ही कम समय है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। यानि 10 अक्टूबर बुधवार को सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 25 मिनट तक रहेगा । क्योंकि ये समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा । जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है। सुबह 7 बजकर 26 मिनट के बाद द्वितीया तिथि प्रारंभ हो जाएगा।
एक और मुहूर्त
यदि किसी कारणवश प्रतिपदा यानि पहले दिन सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन ये घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।
नवरात्र की तिथियां –
प्रतिपदा / द्वितीया – 10 अक्तूबर – माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी
तृतीया – 11 अक्तूबर – माँ चन्द्रघण्टा
चतुर्थी – 12 अक्तूबर – माँ कुष्मांडा
पंचमी – 13 अक्टूबर – माँ स्कंदमाता
पंचमी – 14 अक्तूबर – माँ स्कंदमाता
षष्टी – 15 अक्तूबर – माँ कात्यायनी
सप्तमी – 16 अक्तूबर – माँ कालरात्रि
अष्टमी – 17 अक्तूबर – माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
नवमी – 18 अक्तूबर – माँ सिद्धिदात्री (महानवमी)
दशमी- 19 अक्तूबर- विजय दशमी (दशहरा)