
नवरात्र में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की आराधना की जाती है । इस बार मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही हैं। तो वहीं, हाथी पर सवार होकर वो प्रस्थान करेंगी। ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल होता है कि इस बात की गणना कैसे होती है कि कब मां किस चीज पर सवार होकर आती हैं ? और किस चीज पर सवार होकर जाएंगी ?
दिन के हिसाब से होती मां के सवारी की गणना
मां दुर्गा की सवारी की गणना कलश स्थापना के मुताबिक होता है। यानि घटस्थापना के दिन के मुताबिक मां की सवारी बदलती रहती है। इसलिए हर साल माता का वाहन अलग-अलग होता है। देवी भागवत के मुताबिक
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता
प्रथम पूजा यानि कलश स्थापना सोमवार और रविवार को होता है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। अगर नवरात्र शनिवार और मंगलवार को शुरू होता है तो माता का वाहन घोड़ा होता है। वहीं गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर माता डोली में बैठकर आती हैं। बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
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माता का वाहन और उससे होने वाला असर
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है।
तत्तफलम: गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
यानि माता जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है। घोड़े पर आती हैं तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं।
किस दिन कौन-से वाहन पर सवार होकर जाती हैं देवी
माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं। यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है। देवी भागवत के अनुसार-
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
रविवार और सोमवार को देवी भैंसा की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार और मंगलवार को देवी मुर्गा पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है। बुधवार और शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं। इससे बारिश ज्यादा होती है। गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। इससे जो सुख और शांति की वृद्धि होती है।
ऐसे में इस बार माता नाव की सवारी से आ रही हैं. जिसका अर्थ ये है कि आपकी सभी मनोकमानाएं पूरी होगी। जबकि माता हाथी से जा रही हैं। इसका अर्थ ये है कि पानी ज्यादा बरसेगा। मतलब ये हुआ कि ये अति शुभ है क्योंकि नाव पानी और फसल का प्रतीक है जबकि हाथी समृद्धि का। यानि मां के आशीर्वाद से इस साल मंगल ही मंगल होगा। तो आइए एक बार हम सब मिलकर अपने आप बोलते हैं जय माता दी।