विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का ‘कुशवाहा-कायस्थ’ कार्ड.. जानिए पूरा मामला

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने कुशवाहा- कायस्थ कार्ड खेला है। बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने दो उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है । बीजेपी ने संजय मयूख को दोबारा विधान परिषद भेजने का फैसला किया है। साथ ही सम्राट चौधरी को भी टिकट दिया है।

जातीय समीकरण का ख्याल
विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने जातीय समीकरण का खासा ख्याल रखा है। बीजेपी ने दो सीट में से एक पर अपने परंपरागत वोटर कायस्थ को टिकट देकर सवर्ण का ख्याल रखा है . डॉ. संजय मयूख, जहां सवर्ण वर्ग में शामिल कायस्थ समाज से आते हैं, वहीं सम्राट चौधरी पिछड़ा वर्ग की कुशवाहा जाति से हैं. यूं तो राज्य में कायस्थों की आबादी दो प्रतिशत से भी कम है, मगर इस जाति का राजनीतिक रसूख कहीं ज्यादा है.

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51 फीसदी ओबीसी
बिहार में ओबीसी समुदाय की कुल आबादी 51 प्रतिशत है. जिसमें यादवों और कुर्मी के बाद कुशवाहा(कोइरी) समाज की सबसे ज्यादा भागीदारी है. सम्राट चौधरी को टिकट देकर बीजेपी ने राज्य की करीब 6.4 प्रतिशत कुशवाहा आबादी को साधने की कोशिश की है. इस प्रकार बीजेपी ने एक टिकट सवर्ण तो दूसरा टिकट पिछड़ा वर्ग के नेता को दिया है.

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संजय मयूख के बारे में
संजय मयूख की बात करें तो वह इससे पहले भी विधान परिषद जा चुके हैं. वर्ष 2017 में उन्हें बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार से दिल्ली बुलाकर राष्ट्रीय मीडिया सह संयोजक की जिम्मेदारी दी थी. इस प्रकार मयूख का कद पार्टी में 2017 से बढ़ना शुरू हुआ. अब दूसरी बार पार्टी ने उन्हें विधान परिषद भेजने की तैयारी की है.

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शकुनी चौधरी बेटे हैं सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे. इससे पहले 1999 में वो राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री तो बाद मे वो जदयू में शामिल होने पर 2014 में जीतन राम मांझी सरकार में शहरी विकास मंत्री बने थे. नीतीश कु्मार से विवाद के बाद जदयू ने निलंबित किया तो वो जीतन राम मांझी के साथ उनकी पार्टी ‘हम’ में चले गए. फिर जून, 2017 में सम्राट चौधरी ने बीजेपी का झंडा थाम लिया. बीजेपी ने उन्हें 2018 में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया था. सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी बिहार में कुशवाहा समाज के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार रहे हैं.

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