जागिए सरकार.. कैसे होगा इलाज ? बीमार है बिहारशरीफ का सदर अस्पताल

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नालंदा जिला का सबसे बड़ा अस्पताल खुद बीमार है। वो मरीजों का इलाज कैसे कर सकता है। बदहाली का आलम ये है कि सदर अस्पताल के कई डिपार्टमेंट में तो डॉक्टर ही नहीं है। और जहां हैं उन्हें दूसरे डिपार्टमेंट में ड्यूटी लगा दी गई है। अल्ट्रा साउंड मशीन दो साल से खराब है। यानि अगर आप बिहारशरीफ सदर अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं तो आप ठीक होकर नहीं आएंगे बल्कि बीमार हो जाएंगे। ऐसा हम इसलिए कह रहें हैं कि यहां आंख के डॉक्टर से जनरल मेडिसिन का काम लिया जा रहा है। यहां न तो हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और ना हीं ईएनटी के कोई डॉक्टर हैं। यानि अगर एक्सीडेंट या हादसा के बाद मरीज को सदर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो ये मान लीजिए कि वो भगवान भरोसे ही है। तभी तो कुछ दिन पहले बिहारशरीफ की डीएसपी निशित प्रिया का एक्सीडेंट हुआ था तो वे अपना इलाज सदर अस्पताल की जगह निजी क्लिनिक में कराई थी। अगर वो भी सदर अस्पताल के भरोसे रहतीं तो भगवान जानें क्या होता ?

किन किन डिपार्टमेंट में नहीं हैं डॉक्टर
1. ईएनटी यानि कान गला और नाक विभाग में बिहारशरीफ सदर अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं है। यानि अगर आपको कान गला और नाक में तकलीफ है तो आप सदर अस्पताल मत आइए। क्योंकि यहां आपका ईलाज नहीं हो सकता है। अब सवाल ये उठता है कि अगर एक्सीडेंट या हादसे के बाद मरीज पहुंचते हैं तो उनका इलाज कौन करता होगा? ये आप सोचिए

2. आर्थोपेडिक्स यानि हड्डी रोग विभाग- सदर अस्पताल में हड्डी रोग विभाग भी खाली है। अगर किसी का हाथ-पैर- कमर आदि में चोट लग जाए तो भी उसका इलाज इस अस्पताल में नहीं है क्योंकि यहां इस विभाग में कोई डॉक्टर नहीं है। अब जरा सोचिए कि सड़क हादसों में क्या होता और उसे इलाज के लिए यहां भर्ती कराया जाता है तो उस मरीज का क्या होता होगा ?

3. एनेसथिसिया यानि मूर्च्छक विभाग- इस विभाग में जब किसी मरीज को ऑपरेशन होना होता है तो उसे पहले बेहोश किया जाता है। लेकिन यहां को भी एनेसथिसिया का डॉक्टर नहीं है। यानि अगर किसी को प्रसव या छोटा मोटा ऑपरेशन करवाना हो तो वो भी भगवान भरोसे ही करवा सकता है।

4. रेडियोलॉजी – बिहार शरीफ सदर अस्पताल में कोई भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है । यानि अगर किसी मरीज का एक्सरे होता है तो उस एक्सरे में क्या है इसकी रिपोर्ट बताने वाला भी डॉक्टर इस अस्पताल में नहीं है । अब सोचिए कि आपका एक्सरे किस काम का है और दूसरे डॉक्टर बिना रिपोर्ट कैसे इलाज करते होंगे ?

5. पैथोलॉजी यानि खून पेशाब पैखाना के जांच वाले डॉक्टर भी यहां नहीं है । अगर किसी मरीज का खून पेशाब पैखाना की जांच होती है तो उस रिपोर्ट को बताने वाले डॉक्टर भी नहीं है ।

प्रसव विभाग के ओटी में होता है आंख का ऑपरेशन
बिहारशरीफ सदर अस्पताल का हाल ये है कि यहां मोतियाबिंद और आंख के दूसरे बीमारियों के लिए इलाज के लिए ऑपरेशन थिएटर नहीं है।यहां प्रसव विभाग यानि जिस ऑपरेशन थिएटर में बच्चा पैदा होता है उसी ओटी में आंख का ऑपरेशन होता है। अब आप इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि उस मरीज के आंख में इंफेक्शन का लेवल क्या होगा ?

हालत ये है कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल में डॉक्टरों के लिए कुल 32 पद स्वीकृत है जिसमें से महज 14 डॉक्टर ही मौजूद हैं। जबकि ये नालंदा जिला का सबसे बड़ा अस्पताल है । 300 बेड वाले इस अस्पताल में इलाज के लिए नवादा और शेखपुरा से भी मरीज आते हैं । लेकिन यहां दो साल से अल्ट्रासाउंड सेवा बंद है। कुछ महीने पहले ही एक्स रे मशीन ठीक हुई है। वो भी कई महीनों से बंद पड़ा था।

ये बोर्ड बिहारशरीफ सदर अस्पताल के पास लगा है । जिसपर ISO द्वारा प्रमाणित लिखा है  और  24 घंटे आपकी सेवा में तप्पर लिखा है । अब सवाल ये है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के सबसे बड़े अस्पताल का ये हाल है तो सूबे के बाकी अस्पतालों के बारे में जनता खुद सोच सकती है। हम तो यही कहेंगे कि जागिए सरकार.. बीमार है आपका अस्पताल

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