नालंदा में चोरों की चांदी, बैंक में डाला डाका

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नालंदा जिला में गर्मी जैसे जैसे बढ़ रही है चोरी की वारदात भी उसी गति से बढ़ती जा रही है। आम आदमी तो आम आदमी अब बैंक भी सेफ नहीं हैं। ताजा वाक्या नालंदा बाजार की है। जहां चोरों ने मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की शाखा के तीन दरवाजे तोड़ डाले और गेट में अलग-अलग जगहों पर लगे छह तालों को भी काट डाला। तीन दरवाजों को तोड़ने के बाद चोर बैंक के अंदर दाखिल हो गए। लेकिन इस दौरान न तो कोई अलार्म बजा न ही आस पड़ोस के लोगों को पता चला। पुलिस तो पुलिस ही है। वारदात के बाद ही पहुंचती है। चोरों ने तिजोरी काटने की भरपूर कोशिश की लेकिन गनीमत रही कि उनसे तिजोरी नहीं टूटी। फिर चोरों ने इधर-उधर पैसों की तलाश शुरू कर दी। लेकिन वो नाकाम रहे। पैसे की तलाश में चोरों ने बैंक में रखे कागजातों को इधर उधर फेंक दिया। थक हारकर चोर भाग खड़े हुए। लेकिन जाते वक्त अपने साथ बैंक में लगे सीसीटीवी और हार्ड डिस्क अपने साथ लेते गए। ताकि पुलिस को कोई सबूत न मिल सके। लेकिन सवाल ये ही है कि बैंक की सुरक्षा के लिए बैंकों में इमरजेंसी अलार्म लगाए गए थे तो बजा क्यों नहीं बजा। जबकि बैंक के मैनेजर राहुल कुमार का कहना है कि शाम 7 बजे जब बैंक की तिजोरी में पैसे रखे गए थे तब सायरन बजा था।
नालंदा लाइव के कुछ सवाल भी हैं।
पहला सवाल
अगर बैंक मैनेजर राहुल कुमार की बातों में सच्चाई है तो फिर जब चोर तिजोरी काट रहे थे तो फिर सायरन क्यों नहीं बजा ?
दूसरा सवाल
मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की ये शाखा बाजार के बीचोबीच है। ऐसे में जब चोरों ने वारदात को अंजाम दिया तो आसपास के लोगों को क्यों नहीं पता चला ?

तीसरा सवाल
नालंदा पुलिस रात में शहर में गश्ती की बात करती है तो सवाल ये उठता है कि उनकी गश्ती टीम को इनपर नजर क्यों नहीं पड़ी?
चौथा सवाल
चोरों ने जब तीन दरवाजे तोड़े और छह तालों को तोड़ा। इसका मतलब है कि चोरों की संख्या दो से ज्यादा रही होगी ? और वे अपने साथ पूरा साजो समान लेकर आए होंगे ? फिर भी किसी को इसका अंदेशा क्यों नहीं हुआ
पांचवां सवाल
भले ही चोर डाका डालने में कामयाब नहीं हो पाए। लेकिन अगर वे अपने साथ पैसे और दूसरे सामान लूट ले जाते तो क्या होता ?

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