तीसरा शाही स्नान आज, क्यों है खास.. जानिए

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राजगीर मलमास मेला में आज तीसरा शाही स्नान है। इस बार तीसरा शाही स्नान खास है। एक तो एकादशी स्नान है साथ ही रविवार है । इस वजह इस बार बड़ी संख्या में साधु-संतों के साथ श्रद्धालु कुंडों में डुबकी लगा सकते हैं। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। खुद डीएम त्यागराजन और पुलिस कप्तान सुधीर कुमार पोरिका कमान संभालेंगे।

आज गुरुनानक कुंड, सूर्यकुंड, सरस्वती कुंड, सप्तधारा और ब्रह्मकुंड समेत अन्य कुंडों में लोग डुबकी लगायेंगे। सुबह दो बजे से ही ब्रह्मकुंड के द्वार खोल दिया जाएगा, ताकि लोग स्नान कर सकें। सुबह 7:30 बजे से लेकर 10 बजे तक साधु-संतों के स्नान का समय निर्धारित किया गया है।

गुरुनानक कुंड में पहला स्नान

साधु-संत सबसे पहला स्नान गुरुनानक कुंड में करते हैं। वहां से स्नान करने के बाद वे सूर्यकुंड, सप्तधारा और ब्रह्मकुंड जाते हैं। तीसरे शाही स्नान में फलाहारी बाबा के शिविर, झुनकिया बाबा मंदिर, खाकी चौक, हनुमान गढ़ी, कैलाश आश्रम तीर्थ, बड़ी संगत उदासीन अखाड़ा, कबीर मठ सहित अन्य जगहों से अखाड़ा निकला जाएगा। शाही स्नान के दिन ब्रह्मकुंड के पास पंडा कमेटी द्वारा साधु-संतों के लिए हलवा और शरबत की व्यवस्था की जायेगी। साधु-संतों पर फूलों की वर्षा होगी।

शाही स्नान का विशेष फल

ज्योतिषों के मुताबिक शाही स्नान का विशेष महत्व होता है । मान्यता के मुताबिक लोगों को  मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जो लोग एक माह तक स्नान नहीं कर सकते उन लोगों के लिए शाही स्नान के दौरान स्नान करना उतना ही फलदायक है जितना कि पूरे महीने का स्नान।  चौथा शाही स्नान 13 जून यानि बुधवार को अमावस्या को होगा

शाही स्नान के दिन क्या करें 

पुरोहितों के मुताबिक शाही स्नान के दिन श्रद्धालुओं को सुबह खाली पेट रहकर स्नान करना चाहिए। मानसिक और शारीरिक हिंसा न करनी चाहिए। कड़वा वचन नहीं बोलना चाहिए। दरिद्रों को दान दें। पुरुषोत्तम मास की महिमा का पाठ करें।

अब तक 60 लाख लोग लगा चुके हैं डुबकी

मलमास मेला के अबतक 60 लाख से अधिक लोग डुबकी लगा चुके हैं। सुबह तीन बजे ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है

सारे व्रतों में श्रेष्ठ है एकादशी 

पुरुषोत्तम मास में एकादशी स्नान की अपनी महत्ता है और एकादशी को सारे व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक एकादश इंद्रियों ने सर्वप्रथम मन की साधना इस व्रत से होता है। मन ही मनुष्य के सुख और दुख का कारण है। इससे मन की सफाई होती है। एकादशी स्नान से ताप और पाप का नाश होता है। काइक, वाचिक, मानसिक और सांसर्गिक दोष दूर होते हैं। ये अलौकिक सुख पारलौकिक गति की प्राप्ति होती है। साल में 24 एकादशी होता है। वहीं, प्रत्येक तीन साल पर लगने वाले पुरुषोत्तम मास का दो एकादशी मिलाकर 26 एकादशी हो जाता है। पुरुषोत्तम मास की एकादशी व्रत में यदि राजगृह धाम के 22 कुंड और 52 धारा प्राप्त हो जाय तो उनके सौभाग्य का वर्णन चतुर्मुख ब्रह्मा, शारदा और शेष भी नहीं कर सकते। उन पुण्यात्मा का तो सब प्रकार से कल्याण होता है साथ ही उनके 21 पुश्तों व पुरखों का भी उद्धार हो जाता है। एकादशी स्नान से आने वाले संतान की इस पुण्य के फल का भागी बनते हैं।

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