
मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है । सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के कर्मचारियों को ‘ कानून के अनुसार ‘ पदोन्नति में आरक्षण देने की अनुमति दे दी है। उच्चतम अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर पहले सुनाये गये फैसलों का हवाला दिया और कहा कि एम नागराज मामले में उच्चतम अदालत का 2006 का फैसला लागू होगा।
एम नागराज फैसला क्या है?
एम नागराज फैसले में कहा गया था कि क्रीमी लेयर की अवधारणा सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं होती है। 1992 के इंदिरा साहनी और अन्य बनाम भारत सरकार ( मंडल आयोग मामला) और 2005 में ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले में फैसला अन्य पिछड़ा वर्ग में क्रीमी लेयर से संबंधित था.
इस पर सुप्रीम कोर्ट दो जजों की पीठ ने पूछा कि फिलहाल प्रमोशन कैसे हो रहा है.’ इसपर केंद्र सरकार ने कहा कि पदोन्नति नहीं हो रही है. यह रुकी हुई है. यही समस्या है। इतना ही नहीें केंद्र सरकार ने कहा कि मैं सरकार हूं और मैं संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आरक्षण देना चाहता हूं।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण की इजाजत दे दी।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया था। जिसके बाद खूब सियासत हुई थी। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए थे। जिसपर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर पीएम मोदी तक को सफाई देनी पड़ी थी। पीएम मोदी ने कहा था कि वो दलितों की हकमारी नहीं होने देंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला मोदी सरकार को दलित के मुद्दे पर बड़ी राहत देगी