लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने चला ‘ब्रह्मास्त्र’

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कांग्रेस पार्टी ने ‘करो या मरो’ का चुनाव बन गए आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपना तुरुप का इक्‍का चल दिया है। लंबे इंतजार के बाद राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा गांधी सक्रिय राजनीति में उतरने जा रही हैं और कांग्रेस ने उन्‍हें महासचिव बनाने का ऐलान किया है। उन्‍हें पूर्वी उत्‍तर प्रदेश की जिम्‍मेदारी दी गई है जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ है।

पूर्वांचल में अब मोदी बनाम प्रियंका
2014 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा के साथ-साथ पूर्वांचल की सबसे अहम सीट बनारस से चुनाव लड़ा और जीता। बाद में उन्होंने बनारस को चुना और वडोदरा सीट छोड़ दी। यही वजह है कि राहुल ने यहां भाजपा को यहां हाईप्रोफाइल प्रचार में सीधी टक्कर देने के लिए प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल के दूसरे सबसे चर्चित शहर गोरखपुर से आते हैं। पूर्वांचल में योगी का बड़ा प्रभाव माना जाता है। भाजपा के उप्र अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय भी पूर्वांचल की चंदौली सीट से सांसद हैं।

SP-BSP  गठबंधन की काट
पिछले दिनों बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने का ऐलान किया था। एसपी और बीएसपी उत्तर प्रदेश की कुल 80 में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। एसपी-बीएसपी ने इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया लेकिन अमेठी और रायबरेली सीट उसके लिए छोड़ दी।  अखिलेश और मायावती का कहना था कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने से वोटों के लिहाज से एसपी-बीएसपी को कोई फायदा नहीं मिलता। इसी के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लिए नए सिरे से रणनीति तय की। अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में फरवरी में ही 13 रैलियों के साथ प्रचार शुरू कर देंगे। इन रैलियों में उनके साथ प्रियंका भी नजर आ सकती हैं।

रायबरेली से सोनिया नहीं लड़ीं तो प्रियंका उम्मीदवार हो सकती हैं
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी को रायबरेली सीट से उतारा जा सकता है। अभी यहां से उनकी मां और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी चार बार से सांसद हैं। अस्वस्थता के चलते उन्होंने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया था। राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव लड़ना है या नहीं, ये वही तय करेंगी

कांग्रेस के इस फैसले का कई सीटों पर पड़ेगा असर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने प्रियंका गांधी को महासचिव बनाए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, ‘प्रियंका को जो जिम्मेदारी दी गई, वह बेहद अहम है। इसका असर केवल पूर्वी यूपी पर ही नहीं होगा, बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य इलाकों पर भी पड़ेगा।’ प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आना और उन्‍हें पूर्वी उत्‍तर प्रदेश की कमान दिया जाना कांग्रेस का मास्‍टर स्‍ट्रोक माना जा रहा है। इस क्षेत्र की कई सीटों पर कांग्रेस का अच्‍छा प्रभाव है। फूलपुर से पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद थे। इलाहाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर समेत कई जिलों कांग्रेस का अच्‍छा खासा प्रभाव है।

सिंधिया भी महासचिव बने
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी कांग्रेस महासचिव बनाया गया है। उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, अशोक गहलोत की जगह केसी वेणुगोपाल को संगठन-महासचिव बनाया गया है। वेणुगोपाल कर्नाटक के प्रभारी भी होंगे। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को उत्तर प्रदेश की जगह हरियाणा का प्रभार दिया गया है।

राहुल फेल, इसीलिए प्रियंका की एंट्री: BJP
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ”इस राज्याभिषेक से साबित हो गया है कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है। साबित हो गया है कि राहुल गांधी फेल हो गए। महागठबंधन से भी कांग्रेस को हर जगह से नकारा जा रहा है। नेहरू के बाद इंदिरा, राजीव, सोनिया, राहुल और अब प्रियंका गांधी कांग्रेस में आए हैं। यहां परिवार के लोगों को ही जिम्मेदारी मिलती है।”

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