मुंगेर लोकसभा सीट का इतिहास, जातिगत समीकरण और गणित समझिए

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मुंगेर लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.इस बार सीधा मुकाबला बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और नीतीश कुमार के सबसे करीबी ललन सिंह के बीच है. दोनों भूमिहार जाति से हैं. दोनों दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं. लेकिन मुंगेर का मालिक कौन होगा ये तो मतदान और मतगणना के बाद ही पता चलेगा. लेकिन मुंगेर का समीकरण क्या कहता है आइए समझते हैं.

एनडीए की रणनीति
अगर जातीय समीकरण को देखें तो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र भूमिहार जाति के अलावा एक विधानसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाता अधिक हैं। नीतीश का वोट बैंक कुर्मी, धानुक कोयरी की संख्या भी काफी है, जिस आधार पर एनडीए प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगे हैं। उनको लोकसभा क्षेत्र के लगभग डेढ़ लाख वैश्य मतदाताओं का भी साथ मिलने की उम्मीद है। राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि भूमिहारों को जेडीयू की सहयोगी बीजेपी के ठोस वोटबैंक के तौर पर देखा जाता है, जो इस बार पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दे सकते हैं.

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महागठबंधन की रणनीति
वहीं, अनंत सिंह का भूमिहारों के बीच दबदबा है. हालात ये है कि लहर के बावजूद वो निर्दलीय चुनाव जीते थे. ऐसे में महागठबंधन की उम्मीदवार भी भूमिहार मतदाताओं के बीच सेंध लगाने के साथ राजद के माई समीकरण को एक मजबूत आधार मान रही है, जिसकी क्षेत्र में संख्या लगभग 3 लाख के आसपास है। उन्हें निषाद जाति के मतदाताओं पर भी विश्वास है। गठबंधन के एक घटक दल वीआईपी ने तो मुनिया(मुस्लिम, निषाद और यादव) का नारा भी दे रखा है।

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पीटीआई भाषा के मुताबिक एक ग्रामीण का कहना है कि ललन सिंह की तुलना में अनंत सिंह भूमिहारों की ज्यादा मदद करते हैं. हर गांव में भूमिहारों का एक वर्ग उन्हें वोट देगा लेकिन ज्यादातर मतदाता मोदी और बीजेपी के चलते जेडीयू का समर्थन करेंगे.

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मुंगेर संसदीय सीट में कौन कौन विधानसभा क्षेत्र
मुंगेर संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं-मुंगेर, सूर्यगढ़ा, जमालपुर, बाढ़, लखीसराय और मोकामा। 2015 विधानसभा चुनावों में दो सीटों पर राजद, दो सीटों पर जदयू, एक पर भाजपा और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। मुंगेर में वोटरों की कुल संख्या 1894812 है। इसमें 1015110 पुरुष जबकि 889648 महिला वोटर्स हैं।

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मुंगेर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास
मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का अपना इतिहास रहा है। एक समय मुंगेर सबसे बड़ा जिला होता था. लेकिन इससे काटकर 1976 में बेगूसराय, 1988 में खगड़िया और 1991 में जमुई जिला का निर्माण किया गया. जिससे यहां का समीकरण बदलता गया. 1991 से 2004 तक इन सीटों पर पिछड़ों का ही कब्जा रहा। 1991, 1996 और 1999 में ब्रह्मानंद मंडल,1998 में विजय कुमार विजय और 2004 में जयप्रकाश नारायण यादव सांसद चुने गए। 2008 के परिसीमन के बाद मुंगेर लोकसभा को तीन जिलों में जोड़ दिया गया। इसके बाद इन लोकसभा क्षेत्रों पर भूमिहार का ही कब्जा रहा। 2009 में जदयू के टिकट पर राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने जीत दर्ज की, जबकि 2014 के आम चुनाव में वीणा देवी ने मोदी लहर पर सवार होकर यहां पहली बार लोजपा का परचम लहराया।

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