चंद्रयान-2 से जुड़ी बड़ी खबर- लापता विक्रम लैंडर का पता चला, ऑर्बिटर ने भेजी तस्वीर

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मिशन चंद्रयान से जुड़ी बड़ी खबर आ रही है । लापता विक्रम लैंडर का पता चल गया है । ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की तस्वीरें भी भेजी है । यानि जिस विक्रम लैंडर के अलग होने की वजह से हमारा मिशन चंद्रयान-2 पूरी तरह सफल नहीं रहा था. उस विक्रम लैंडर का पता चल गया है ।

500 मीटर दूर पड़ा है विक्रम लैंडर
इसरो (ISRO) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है. अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं

संपर्क की कोशिश कर रहे हैं
इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि हमें विक्रम लैंडर के बारे में पता चला है, वह चांद की सतह पर देखा गया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल पिक्चर ली है. लेकिन अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.

चंद्रयान-2 से अलग हो गया था विक्रम लैंडर
आपको बता दें कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था. हालांकि सिवन ने यह स्पष्ट किया है कि लैंडर विक्रम से अभी तक संपर्क स्थापित नहीं हो सका है. इसकी कोशिशें लगातार जारी हैं. सिवन ने कहा कि तस्वीरों के जरिए Vikram Lander का पता लगा लिया गया है.

शुक्रवार-शनिवार की रात होना था लैंड
चंद्रयान 2 के लैंडर Vikram को 6-7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद की सतह (Lunar Surface) पर लैंड होना था, हालांकि 2.1 किलोमीटर दूर ही धरती पर स्थित इसरो के स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया. इसरो चीफ के. सिवन ने तब इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि चंद्रयान 2 के ‘विक्रम’ लैंडर से संचार को शनिवार की तड़के लूनर सर्फेस पर पहुंचने से 2.1 किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया और डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है.’

कैसे टूटा संपर्क?
लैंडर विक्रम ने चांद से 30 किलोमीटर की दूरी पर अपने कक्ष से नीचे उतरते समय 10 मिनट तक सटीक रफब्रेकिंग हासिल की थी. इसकी गति 1680 मीटर प्रति सेकंड से 146 मीटर प्रति सेकंड हो चुका था. इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग ऐंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने तय पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया.

ऑर्बिटर में लगे हुए हैं कैमरे
आर्बिटर में SAR (सिंथेटिक अपर्चर रेडार), IR स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरे की मदद से 10 x 10 किलोमीटर के इलाके को छाना जा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक लैंडर विक्रम का पता लगाने के लिए उन्हें उस इलाके की हाई रेजॉलूशन तस्वीरें लेनी होंगी.

‘लैंडर से संपर्क की 14 दिनों तक करते रहेंगे कोशिश’
इसरो के चेयरमैन सिवन ने दूरदर्शन को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि हालांकि हमारा चंद्रयान 2 के लैंडर से संपर्क टूट चुका है, लेकिन वो लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करने के लिए अगले 14 दिनों तक प्रयास करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि लैंडर के पहले चरण को सफलता पूर्वक पूरा किया गया, जिसमें यान की गति को कम करने में एजेंसी को सफलता मिली. हालांकि अंतिम चरण में आकर लैंडर का संपर्क एजेंसी से टूट गया.

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