2019 लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सरेंडर कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने स्वीकार किया है कि यूपी में बीएसपी और एसपी गठबंधन बीजेपी के लिए चुनौती बनेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हम कांग्रेस को अमेठी या रायबरेली दोनों में से किसी एक जगह जरूर हराएंगे। अमित शाह ने शुक्रवार को मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने के पर हुए एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।
इशारों में उद्धव पर वार
अमित शाह ने 2019 में शिवसेना के साथ छोड़ने के सवाल पर कहा कि 2019 में महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना साथ मिलकर लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम उन्हें एनडीए से बाहर करना नहीं चाहते हैं, लेकिन वे अगर जाना चाहते हैं तो ये उनकी इच्छा होगी। हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं।
‘सारे दल मिलकर भी हमें नहीं हरा पाएंगे’
बीजेपी अध्यक्ष ने अमित शाह ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि विपक्षी पार्टियां एक जैसी सोच वाले दलों के साथ आ रही हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि वे केवल अपने दम पर एनडीए को 2019 में मात नहीं दे पाएगी। ये सब हमारे खिलाफ 2014 में लड़े थे, लेकिन हमें रोक नहीं पाए। उनकी मौजूदगी केवल उनके राज्यों तक ही सीमित है। अगर वे एकसाथ भी आते हैं तो भी हमें हरा नहीं पाएंगे।
जहां पिछली बार नहीं जीते थे वहां भी जीतेंगे
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया कि पिछली बार वे उत्तर-पूर्व, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और दूसरी अन्य जगहों पर जो सीटें नहीं जीत पाए थे, उनमें से भी करीब 80 सीटें 2019 में जरूर जीतेंगे।
कब-कब एक हुआ था विपक्ष
साल 1977- इंदिरा के आपातकाल लगाने के बाद सभी विपक्षी दल एक साथ आए थे। सोशलिस्ट पार्टियों, भारतीय क्रांतिदल और जनसंघ जैसे करीब एक दर्जन दल एक मंच पर आए।
साल1989- कभी राजीव गांधी के खास रहे वीपी सिंह ने कई छत्रपों के सहयोग से जनता दल बनाया था। उन्होंने टीडीपी, एजीपी, डीएमके जैसे दलों की मदद से नेशनल फ्रंट बनाया। ये फ्रंट 1989 में सत्ता में आया। वाम दलों ने सरकार को बाहर से सपोर्ट किया।
1996-97- बीजेपी को रोकने के लिए जनता दल, समाजवादी पार्टी, टीडीपी, लोक दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया। एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल इसी मोर्चे से प्रधानमंत्री बने थे