
बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए जेडीयू ने अपने 3 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। जिसमें एक अल्पसंख्यक, एक महिला और एक अत्यंत पिछड़ा समाज से हैं। जदयू ने पुराने किसी भी सदस्य को रिपीट करने की बजाय प्रोफेसर गुलाम गौस, कुमुद वर्मा और भीष्म सहनी को उम्मीदवार बनाया गया है।
कौन हैं कुमुद वर्मा
जदयू की ओर से प्रत्याशी बनाई गईं डा. कुमुद वर्मा राजनीतिक परिवार से हैं। ससुर उपेंद्रनाथ वर्मा पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं. वे 20 साल से जदयू से जुड़ी हैं। पहले औरंगाबाद, पिछली बार जहानाबाद लोकसभा चुनाव में इन्हें टिकट मिलते-मिलते रह गया था। जहानाबाद में तो दस दिन इन्होंने प्रचार भी कर लिया था। खैर, कुमुद वर्मा दल में प्रदेश सचिव रही हैं और अभी राष्ट्रीय परिषद की सदस्य हैं। 9 साल तक बोधगया टेम्पल प्रबंधन कमेटी की सदस्य रही हैं।
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जमीनी नेता हैं भीष्म सहनी
भीष्म साहनी बगहा के रतनमाला के रहने वाले हैं और जदयू के एक मजबूत कार्यकर्ता हैं। समता पार्टी के समय से ही नेता और दल से जुड़े हैं। साल 2015 विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर इन्होंने बगहा से चुनाव लड़ा था. लेकिन 7100 वोट से हार गए थे। प्रदेश संगठन सचिव समेत कई जिलों के संगठन प्रभारी रहे हैं। अभी मोतिहारी जिले का संगठन देख रहे हैं।
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चौथी बार विधान परिषद जायेंगे गुलाम गौस
प्रो. गुलाम गौस 1998 से लेकर 2010 तक तीन बार राजद कोटे से बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। वे विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता भी रहे हैं। अबकी चौथी बार जदयू की ओर से विधान परिषद जायेंगे। प्रो. गौस सामाजिक न्याय, शिक्षकों, पिछड़ों, उर्दू टीईटी अभ्यर्थियों आदि की लड़ाई लड़ते रहे हैं और उनकी एक जुझारू नेता की छवि है।
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राज्यपाल कोटे से जाएंगे अशोक चौधरी
सूत्रों के अनुसार भवन निर्माण मंत्री डॉ.अशोक चौधरी भी विधान परिषद जाएंगे. लेकिन उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद भेजा जाएगा