बिहारी अब सिर्फ पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि खेल के मैदान में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। भारतीय क्रिकेट में बिहार का सूखा अब खत्म होने लगा है । ईशान किशन, पृथ्वी शॉ और मुकेश कुमार के बाद अब एक और बिहारी अपना परचम लहरा रहा है । जिसने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया है । बिहार के वैभव सूर्यवंशी ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ा है । आखिर कौन है ये वैभव सूर्यवंशी जिसने महज 12 साल की उम्र में ही मास्टर ब्लास्टर का रिकॉर्ड तोड़ दिया ।
सबसे कम उम्र में डेब्यू
बिहार के वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) ने सबसे कम उम्र में रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy 2023-24) खेलने का रिकॉर्ड बनाया है । महज 12 साल की उम्र में वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) को फर्स्ट क्लास डेब्यू कैप मिल गई. मुंबई के खिलाफ खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी में वैभव सूर्यवंशी ने डेब्यू किया है । मुंबई टीम की कप्तानी जाने माने क्रिकेटर अजिंक्य रहाणे कर रहे हैं । जबकि बिहार की टीम की कप्तानी आशुतोष अमन कर रहे है । वहीं, सकीबुल गनी को उप-कप्तान बनाया गया है.
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सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा
बिहार के वैभव ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया है । आपको बता दें कि फर्स्ट क्लास डेब्यू के वक्त सचिन तेंदुलकर की उम्र 15 साल और 232 दिन थी. जबकि वैभव सूर्यवंशी ने 12 साल 284 दिन की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया है। सबसे कम उम्र में रणजी में डेब्यू करने वाले हैं । BCCI की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, वैभव ने 12 साल 9 महीने और 10 दिन की उम्र में डेब्यू किया. Cricinfo वेबसाइट पर भी वैभव की यही उम्र लिखी गई है.
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वैभव का विराट रिकॉर्ड
वैभव सूर्यवंशी के विराट प्रदर्शन को देखते हुए बीसीसीआई ने उन्हें ये मौका दिया है । वे पिछले एक साल में 49 शतक और 3 दोहरा शतक जमा चुके हैं। पिछले साल हेमन ट्रॉफी के लीग और सुपर लीग में सबसे ज्यादा 670 रन बनाए थे। जिसमें तीन शतक और तीन अर्धशतक शामिल था। अक्टूबर 2023 में वीनू मांकड़ टूर्नामेंट के अंडर-19 में वैभव का सिलेक्शन हुआ। अंडर-19 में टीम इंडिया के लिए खेलते हुए इंग्लैंड के खिलाफ 50 रन बनाए थे । झारखंड के खिलाफ एक मैच में उन्होंने128 गेंदों पर 22 चौकों और तीन छक्कों की मदद से 151 रन बनाए थे और इसी मैच में उन्होंनेन्हों ने 76 रन की पारी भी खेली थी
अलीमुद्दीन का रिकॉर्ड बरकरार
क्रिकइंफो के मुताबिक, सबसे कम उम्र में रणजी ट्रॉफी खेलने का रिकार्ड अलीमुद्दीन का है। जिन्होंने 12 साल 2 महीने 13 दिन की उम्र में डेब्यू किया था। अजमेर के रहने वाले अलीमुद्दीन ने साल 1942-43 में 12 साल 73 दिन की उम्र में ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने बड़ौदा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में राजपूताना के लिए मैच खेला था। रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी एसके बोस थे जिन्होंने साल 1959-60 में 12 साल और 76 दिन की उम्र में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। उन्होंने ये मुकाबला जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में बिहार और असम के बीच मैच खेला था।जबकि तीसरे नंबर पर मोहम्मद रमजान थे जिन्होंने12 साल 247 दिन की उम्र में मैच खेला था ।
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उम्र पर विवाद
हालांकि वैभव सूर्यवंशी का एक पुराना इंटरव्यू भी वायरल हो रहा है जो करीब 8 महीने पुराना है. जिसमें वैभव खुद बता रहे हैं कि वो 27 सितंबर को 14 साल के हो जाएंगे. इस हिसाब से अगर माना जाए तो डेब्यू के समय उनकी उम्र 14 साल 3 महीने और 9 दिन है. जबकि पिता संजीव सूर्यवंशी का कहना है कि वैभव का जन्म 27 मार्च 2011 को हुआ था। वैभव के पिता किसान हैं और वो चाहते हैं उनका बेटा क्रिकेट की दुनिया में भारत और बिहार का नाम रोशन करे ।
कौन हैं वैभव
वैभव सूर्यवंशी (Vaibhav Suryavanshi) बाएं हाथ के ओपनर बल्लेबाज हैं। साथ ही स्पिन गेंदबाज भी हैं। वे बिहार के समस्तीपुर जिले के ताजपुर के रहने वाले हैं । वैभव ने महज 6 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और 7 साल में क्रिकेट अकादमी ज्वॉइन कर ली थी ।वैभव के पिता का कहना है कि उसने बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी थी। उन्हें पूर्व रणजी क्रिकेटर मनीष ओझा ने ट्रेनिंग दी. वो भारत की अंडर-19 बी टीम का भी हिस्सा रहे और तब 5 मैचों में 177 रन बनाए. वैभव ने वीनू मांकड़ ट्रॉफी के पिछले सीजन के 5 मैचों में 393 रन बनाए. वो अंडर-19 टीम के कूच बिहार ट्रॉफी मुकाबले भी खेले हैं.
आपको बता दें कि जब से बिहार और झारखंड अलग हुआ तब से बिहार का क्रिकेट वनवास में चला गया । क्योंकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की मान्यता झारखंड के हिस्से में चली गई। साल 2000 के बाद बिहार में क्रिकेटर का पैदा होना बंद हो गया था और जो जो खेले भी वो झारखंड या पश्चिम बंगाल जाकर खेले। करीब 18 साल बाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता मिली, तब जाकर माहौल बनना शुरू हुआ। अब उस माहौल का फायदा दिख रहा है। सदी में पहली बार रणजी ट्रॉफी का कोई मैच पटना में हो रहा है।