
बिहारशरीफ सदर अस्पताल की कुव्यवस्था एक बार फिर सामने आई है। शनिवार की सुबह बीमार बच्ची की पिता के गोद में जान चली गई। बच्ची के माता-पिता उसे गोद में लेकर अस्पताल के अलग-अलग वार्डों का चक्कर लगा रहे थे। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर परिजन को ओपीडी भेज रहे थे। फिर ओपीडी के डॉक्टर शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं आने की बात कह, उन्हें एसएनसीयू का रास्ता दिखा रहे थे।
विलाप सुन नब्ज टटोली
वार्डों के चक्कर लगाने में पिता की गोद में बच्ची ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद माता-पिता की दहाड़ अस्पताल में गूंजने लगी। दहाड़ सुन इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने नब्ज टटोलने की जहमत उठाई और बच्ची के मौत की पुष्टि की। मृतका दीपनगर थाना क्षेत्र के राणा बिगहा गांव निवासी राजीव कुमार की 5 वर्षीया पुत्री प्रियंका कुमारी है।
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क्या है पूरा मामला
राणाबिगहा के रहने वाले राजीव कुमार का आरोप है कि उसकी पुत्री का लीवर इंफेक्शन का इलाज करीब एक वर्ष से पावापुरी मेडिकल कॉलेज में चल रहा था। शनिवार को अचानक उसकी तबियत खराब हो गई. जिसके बाद वो इलाज के लिए निजी क्लीनिक में ले गया जिसके बाद उसे सदर अस्पताल भेज दिया।
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सदर अस्पताल की सफाई
बिहारशरीफ सदर अस्पताल के डीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने बच्ची का इलाज किए थे । ज्यादा तबीयत खराब होने के कारण रास्ते में ही उसकी मौत हो चुकी थी । वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि चिकित्सक तीन शिफ्ट में ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं । विजिट पर रहने के कारण वे अपने चैंबर में मौजूद नहीं हो सकते हैं ।