बिहार में दारोगा बहाली को लेकर गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को पटना हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि दारोगा और वार्डन बहाली के मामले में महिला गर्भवती अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा में कोई छूट नहीं दी जायेगी।
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फैसले में क्या कहा
पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्रा की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सिंगल बेंच के फैसले को पलट दिया है। डबल बेंच ने अपने अहम फैसले में कहा कि नौकरी मौलिक अधिकार नहीं है, जिससे ये कहा जाए कि अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हुआ है। फिर राज्य सरकार की मर्जी पर है कि वो ऐसी महिलाओं को अवसर दे अथवा नहीं?
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सिंगल बेंच ने क्या कहा था
पटना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इशिका राज समेत 40 गर्भवती महिलाओं की याचिकाओं पर सुनवाई की थी। एकल पीठ का कहना था कि मातृत्व लाभ को नौकरी के लिए अभिशाप नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से फिजिकल टेस्ट के लिए अवसर दिया जाना चाहिए।
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महाधिवक्ता की क्या है दलील
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने दलील रखी । उन्होंने कहा कि ये केवल एक महिला का सवाल नहीं है। बल्कि, सब महिलाओं का अलग-अलग समय में फिजिकल टेस्ट लेना होगा। क्योंकि, सबके गर्भ धारण करने का समय अलग-अलग है। इस प्रकार की छूट देने से अनेक प्रकार की समस्याएं होती रहेंगी। जिसके बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को पलट दिया।
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1900 पदों के लिए निकला था विज्ञापन
31 जुलाई 2015 को पुलिस सबऑर्डिनेट सर्विस कमीशन ने 1900 जेल वार्डन और दारोगा की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला था। जबकि 30 अगस्त 2016 को लिखित परीक्षा हुई थी। लिखित परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिए 9 मई 2017 को फिजिकल टेस्ट की तारीख निर्धारित थी। कई महिला उम्मीदवार गर्भवती होने के कारण फिजिकल परीक्षा से वंचित रह गई।