भारतीय जनता पार्टी बिहार से जिन दो लोगों को राज्यसभा भेज रही है उसमें एक नाम चौंकाने वाला है। वो नाम है शंभू शरण पटेल। जब से शंभू शरण पटेल के नाम की घोषणा हुई है तब से ही ये चर्चा का बाजार गर्म है कि आखिर ये शंभू शरण पटेल हैं कौन? शंभू शरण पटेल को बीजेपी ने क्यों टिकट दिया ? शंभू शरण पटेल को राज्यसभा भेजकर बीजेपी क्या साबित करना चाहती है ? क्या शंभू शरण पटेल को नीतीश कुमार की जाति कुर्मी के काट के तौर पर देखा जा रहा है ? गोपाल नारायण सिंह जैसे वरिष्ठ की जगह उन्हें राज्यसभा भेजने के पीछे मकसद क्या है ? आदि आदि
कौन हैं शंभू शरण पटेल
सबसे पहले आपको बता दें कि शंभू शरण पटेल बिहार बीजेपी के प्रदेश सचिव हैं। भारतीय जनता पार्टी के वे आम कार्यकर्ता हैं । बीजेपी में न तो उनका कद बड़ा है और ना ही नाम। प्रदेश सचिव के पहले वे BJP ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे हैं।
क्या कुर्मी जाति से हैं ?
शंभू शरण पटेल का टाइटल पटेल है। ऐसे में ज्यादातर लोग यही समझ रहे हैं कि शंभू शरण पटेल भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति यानि कुर्मी जाति से आते हैं । तो आप गलत हैं । वे कुर्मी जाति से नहीं आते हैं। बल्कि ये अतिपिछड़ा समाज के धानुक समुदाय से आते हैं।
कहां के रहने वाले हैं ?
शंभू शरण पटेल शेखपुरा जिले के चेवाड़ा प्रखंड के छठीआरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता रेलवे में कनीय इंजीनियर थे। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के बाद राजनीति से अपना नाता जोड़ लिया था। वे ठेकेदारी करने के साथ साथ राजनीति में भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं ।
नीतीश कुमार से क्या है रिश्ता
आपको यहां बता दें कि शंभू शरण पटेल ने राजनीति की शुरुआत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से ही की थी। शेखपुरा जिला में उन्हें जेडीयू का कर्मठ कार्यकर्ता माना जाता था। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे तत्कालीन मंत्री श्याम रजक के भी करीबी थे। जिसकी वजह से उनकी पहुंच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक भी थी। लेकिन पूर्व मंत्री श्याम रजक से इनका किसी बात पर विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ा कि इन्होंने पार्टी ही छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया था ।
बीजेपी ने क्यों बनाया उम्मीदवार
दरअसल, शंभू शरण पटेल को राज्यसभा भेजकर बीजेपी ने धानुक समाज को साधने की कोशिश की है। धानुक समाज खुद को कुर्मी जाति का उप समूह मानता है । लेकिन कुर्मी जाति उसे कहार जाति का उप समूह बताता है । जिसकी वजह से धानुक और कुर्मी जाति के वोटरों में कन्फ्यूजन रहता है । अगर बात शेखपुरा विधानसभा की बात करें तो यहां कुल 2 लाख 26 लाख वोटर हैं । जिसमें धानुक-कोईरी की संख्या 60 हजार से अधिक हैं। इसके अलावा लखीसराय, मुंगेर जिले में भी धानुक समाज की आबादी ठीक-ठाक आबादी है।
बीजेपी की क्या है रणनीति
दरअसल, शंभू शरण पटेल के नाम की घोषणा के तुरंत बाद राज्य के पूर्व उप मुख्य मंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट कर स्पष्ट कर दिया कि शंभू शरण पटेल धानुक समाज से आते हैं जिनकी मध्य एवं उत्तर बिहार में काफ़ी बड़ी आबादी है। इसके जरिए बीजेपी OBC के साथ युवाओं को साधने की कोशिश की जा रही है। बिहार में धानुक जाति को कुर्मी और कोइरी समाज के समकक्ष ही माना जाता है। ये अपना टाइटल भी महतो और पटेल लिखते हैं। ऐसे में BJP ने पटेल मार्फत OBC के साथ-साथ युवाओं को भी साधने की कोशिश की है। इसके साथ ही यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि कार्यकर्ताओं को तवज्जो देती है।
गोपाल नारायण सिंह का टिकट क्यों कटा
घोषणा से एक मिनट पहले तक पार्टी के बड़े पदाधिकारी तक को शंभू शरण पटेल के नाम की जानकारी नहीं थी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो BJP की 70 प्लस की पॉलिसी के कारण गोपाल नारायण सिंह का पत्ता कटा है।