बड़ा फैसला- मोदी सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण का रास्ता खोला

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केंद्र की मोदी सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण का रास्ता खोल दिया है। सवर्ण आरक्षण के जरिए मोदी सरकार ने ये रास्ता खोला है । मोदी सरकार ने लोकसभा में जो सवर्ण आरक्षण संशोधन बिल पेश किया गया है । उसमें प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की बात कही गई है । जबकि अब तक प्राइवेट संस्थानों में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों  में आरक्षण का प्रावधान नहीं है ।

क्या है प्रावधान
सवर्ण आरक्षण बिल के मुताबिक देश के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था होगी। चाहे वो प्राइवेट सेक्टर के उच्च शिक्षण संस्थान हो या राज्य सरकारों द्वारा संचालित हो या वित्तीय मदद के द्वारा चल रहे शिक्षण संस्थान हो। ये फैसला सब जगह लागू होगा।

10 फीसदी आरक्षण के फैसले के बारे में जानें

ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा. इसी के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी होगा. इसके लिए संविधान की धारा 15 और 16 में बदलाव करना होगा. धारा 15 के तहत शैक्षणिक संस्थानों और धारा 16 के तहत रोजगार में आरक्षण मिलता है. अगर संसद से ये विधेयक पास हो जाता है तो इसका लाभ ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, कायस्थ, बनिया, जाट और गुर्जर आदि को मिलेगा. हालांकि आठ लाख सालाना आय  और पांच हेक्टेयर तक ज़मीन वाले गरीब ही इसके दायरे में आएंगे.

अभी क्या है देश में आरक्षण की व्यवस्था?

आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकुल साफ है. भारत में अभी 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता. (अपवाद, तमिलनाडु में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण है) आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है. भारत में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था ही नहीं है. इसीलिए अब तक जिन-जिन राज्यों में इस आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

सरकार के फैसले का असर
10 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए 10 लाख से ज्यादा अतिरिक्त सीटें तैयार करनी होंगी। एक सर्वे के मुताबिक, आरक्षण को लागू करने के लिए सभी आईआईटी, आईआईएम, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य सरकार के संस्थानों और निजी विश्वविद्यालयों में अधिक छात्रों को दाखिला देना पड़ेगा। मौजूदा समय में सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में करीब 1 करोड़ छात्रों के लिए सीटें उपलब्ध हैं।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, लेकिन आरक्षण लागू करने के लिए 10 लाख अतिरिक्त सीटों का प्रबंध करना होगा। आरक्षण को लागू कैसे किया जाए, अभी इस योजना पर काम होना बाकी है।

साथ ही ये भी सवाल उठ रहा है कि प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में अगर आरक्षण के तहत किसी का एडमिशन होता है तो वो फीस कौन भरेगा। सरकार ने अब तक उसकी व्यवस्था नहीं की है ।

सवाल ये भी है कि अगर सवर्णों को प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए सरकार संशोधन बिल लेकर आई है तो फिर प्राइवेट सेक्टर में एससी/एसटी और ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ये संशोधन बिल क्यों नहीं लेकर आ रही है ? ये सवाल हर किसी के मन में कौंधना शुरू हो गया है । ऐसे में लगने लगा है कि सरकार का ये बिल भी 15 लाख के जुमले की तरह ही साबित न हो जाए।

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