बिहारशरीफ में आम लोगों से पूछ लीजिए कि शहर में सबसे ज्यादा पैसा किन लोगों के पास है । तो छूटते ही कहेंगे कि यहां के डॉक्टर और कोचिंग संचालक काफी मालदार हैं उसके बाद ही ठेकेदार और बाकी बिजनेसमैन का नंबर आता है । कोरोना काल में कोचिंग संचालकों और दूसरे लोगों की इनकम में कमी आई।
लेकिन डॉक्टर साहब लोगों की आमदनी बढ़ती ही गई। हालात ये है कि शहर के नामी गिरानी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में तो जनता को लूटते ही हैं। साथ ही सरकार को भी चूना लगाने से नहीं चुकते हैं । ताजा वाक्या बिहारशरीफ सदर अस्पताल का है । जहां ड्यूटी करने वाले बड़े बड़े डॉक्टर भ्रष्ट हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जांच में ये बातें सामने आई है ।
बिहारशरीफ सदर अस्पताल में तैनात सरकारी डॉक्टरों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ये खुलासा जांच के दौरान हुई है। जिसके बाद सदर अस्पताल की व्यवस्था पर सवालिया निशान एक बार फिर उठने लगे हैं ।
दरअसल, गुरुवार को सदर अस्पताल में दिन रात मिलाकर 11 डॉक्टरों की ड्यूटी लगी थी। लेकिन जब अटेंडेंस रजिस्ट्रर चेक किया गया तो उसपर 27 डॉक्टरों की उपस्थिति बनी हुई थी। जबकि ये डॉक्टर अस्पताल आए ही नहीं थे। लेकिन इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को नहीं थी।
सदर अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि इतना ही नहीं डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी अलग-अलग हैं। यानि अस्पताल के अंदर कर्मचारियों और डॉक्टरों की मिलीभगत से जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है । सूत्रों का कहना है एक ही दिन में 4-5 डॉक्टरों को हाजिरी बना दी जाती है ।
गुरूवार को 11 डॉक्टरों की ड्यूटी थी लेकिन उपस्थिति पंजी पर करीब 27 डॉक्टरों की हाजिरी बनी थी। गुरुवार को जिन डॉक्टरों की ड्यूटी थी उसमें डॉ. रामकुमार प्रसाद, डॉ. सावन, डॉ. धमेन्द्र कुमार, डॉ. पॉवेल, डॉ. नवीन चन्द्रा, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. संगीता वर्मा, डॉ. स्मृति रानी, डॉ. सीमा आदि शामिल हैं, लेकिन उपस्थिति सभी लोगों की बनी थी।
अस्पताल सूत्रों की मानें तो यह प्रक्रिया कई दिनों से जारी है। लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण चिकित्सकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रहा है।