नालंदा में नदियों में उफान.. कई इलाकों में घुसा पानी.. आवाजाही प्रभावित

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नालंदा में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से कई नदियों में उफान आ गया है। जिसकी वजह से जिले के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वहीं,लोकायन नदी और पंचाने नदी में जलस्तर बढ़ने से आवाजाही भी प्रभावित हुई है ।

तटबंध टूटा गांव में घुसा पानी
लोकायन नदी के जल स्तर में अचानक वृद्धि हो गई है। जिसकी वजह से हिलसा और करायपरसुराय प्रखंड के पश्चिमी इलाके पर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। हिलसा के महेशपुर गांव के पास लोकायन नदी पर बना तटबंध टूट गया है । जिससे कई गाँवो में बाढ़ का पानी घुस गया है । खेत जलमग्न हो गए हैं ।

पुल पर चढ़ा पानी
वहीं, हिलसा-चिकसौरा-बांस बिगहा मेन रोड पर रेड़ी गांव के पास बने पुल पर लोकायन नदी का पानी चढ़ गया है। जिससे यातायात प्रभावित हो गया है । जबकि मिर्जापुर पंचायत के पचासा गांव के पास पूर्वी तटबंध में रिसाव शुरू हो गया है। ग्रामीण इस रिसाव को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन नदी की तेज धार के कारण ये संभव नहीं हो रहा है। इसी प्रकार सोहरापुर, नवगढ़, जमुआरा, पेंदापुर, मुर्गियाचक, मुसाढी समेत दर्जनों गांव के पास लोकायन नदी के तटबंध पर पानी का भारी दबाव पड़ रहा है।

पंचाने नदी भी उफान
वहीं, पंचाने नदी के जलस्तर में भी इजाफा हुआ है । जिसकी वजह से बिहारशरीफ के कई मोहल्लों समेत कई निचली इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है । उधर, नदी के जलस्तर में इजाफा को देखते हुए जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर बचाव कार्यों में जुट गया है ।

डीएम ने अधिकारियों को अलर्ट किया
लोकायन नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जिलाधिकारी ने हालात का जायजा लिया । साथ ही जिले के तमाम पदाधिकारियों अलर्ट भी किया है । डीएम योगेन्द्र सिंह ने बंधुगंज और निर्माणाधीन मंडई वियर का निरीक्षण किया। डीएम योगेंद्र सिंह के मुताबिक हजारीबाग और चतरा में भारी बारिश के कारण फल्गु नदी का जल स्तर खतरे के निशान 111.69 को पार गया था।जिसकी वजह से उदेरा स्थान बराज से 50 हजार क्यूसेक जल का प्रवाह हो रहा है। जिससे मंडई वियर के डाउन स्ट्रीम में धोवा नदी और लोकाइन नदी में उफान आ गया है।

लोकायन नदी तटबंध का लिया जायजा
लोकायन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। बढ़ते जलस्तर के कारण नदी के दोनों तरफ तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ रहा है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है।बांध की मजबूती के लिए रखे हजारों बोरे बालू नदी के तेज बहाव में समा चुके हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अगर बांध की बजाए पक्की सड़क के किनारे सीमेंट के बोरे में बालू रखे जाते तो सुरक्षित रहते।

पिछले साल मची थी भारी तबाही
पिछले साल पचासा में इसी गांव में तकरीबन 80 फीट लंबाई में नदी का तटबंध टूट गया था। जिससे हिलसा के पश्चिमी इलाके में भारी तबाही हुई थी। सैकड़ों एकड़ खेतों में धान की लगी फसल बाढ़ में डूब कर बर्बाद हो गई थी। दर्जनों गांव डूब गए थे।

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