
देश में पहली बार थाईलैंड और फिलिपींस के तर्ज पर बिहार में साइलोज का निर्माण किया जाएगा। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बिहार में दो स्थानों पर बनाया जाएगा। इस बात की जानकारी संसद में केंद्रीय केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने दी
क्या है पूरा मामला
दरअसल, राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने खद्यान्नों की बर्बादी का मुद्दा उठाया था। जिसके जवाब में
केंद्रीय केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भंडारण में खाद्यान्नों की बर्बादी को रोकने के लिए देश में पहली बार सार्वजनिक-निजी भागीदारी पद्धति (PPP मोड) में एक लाख टन क्षमता के साइलोज (स्टील के बड़े भंडारण टैंक) की स्थापना की जाएगी ।
बिहार में दो जगहों पर होगा निर्माण
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बिहार के कैमूर में मोहनियां और बक्सर के इटाढ़ी में PPP मोड में एक लाख टन क्षमता के साइलोज की स्थापना की जा रही है। जिसपर करीब 65.28 करोड़ की लागत आएगी ।प्रत्येक स्थान पर 50 हजार टन क्षमता के साइलोज का निर्माण किया जा रहा है।
चावल और गेहूं का होगा भंडारण
साइलोज में गेहूं के लिए 37,500 टन और चावल के लिए 12,500 टन क्षमता शामिल है। गेहूं के भंडारण के लिए साइलोज का इस्तेमाल देश में पहले से हो रहा है, मगर चावल के लिए पहली बार कैमूर और बक्सर में साइलोज का निर्माण किया जा रहा है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो पूरे देश में 15.10 लाख टन क्षमता के साइलोज का निर्माण कराया जाएगा।
जमीन का अधिग्रहण
भारतीय खाद्य निगम (FCI)ने साल 2019-20 में भूमि की लागत मद में प्रति इकाई 19.14 करोड़ खर्च का अधिग्रहण कर लिया गया है और सिविल निर्माण कार्य चल रहा है। जूट के बोरे में अनाजों को भर कर गोदामों में रखने से चूहे और कीड़े आदि से बर्बादी होती है, जबकि साइलोज भंडारण के लिए सुरक्षित है। थाईलैंड, फिलिपींस, बांग्लादेश आदि देशों में साइलोज में ही चावल का भंडारण किया जाता है।