
पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई । जिसमें जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी और कांग्रेस पार्टी समेत नौ राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। ये सर्वदलीय बैठक बैठक जातीय जनगणना को लेकर बुलाई गई थी। जिसमें तेजस्वी यादव ने भी अपनी शर्त रख दी। वहीं, बीजेपी की रणनीति भी सफल हो गए। बीजेपी जो जातीय जनगणना के बहाने जो चाहती थी वो हो गया ।
क्या हुआ है फैसला
सर्वदलीय बैठक में बिहार में जातिगत जनगणना कराने पर सहमति बनी है और जातिगत जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आंकड़ों को प्रकाशित भी किया जाएगा. इससे पहले जातिगत जनगणना करने वालों को उचित प्रशिक्षण देने पर भी सहमति बनी है. सबसे खास बात यह है कि जातिगत जनगणना को निर्धारित समयसीमा के अंदर पूरा करने पर निर्णय लिया गया है.
Patna, Bihar | In the meeting we unanimously decided that a caste-based census will be done in a set time frame. Soon a cabinet decision will be taken and it will be available in the public domain…: Bihar CM Nitish Kumar pic.twitter.com/nILlGdqC5m
— ANI (@ANI) June 1, 2022
जातीय जगगणना में क्या क्या होगा
जाति आधारित जनगणना के माध्यम से राज्य के सभी जाति और धर्म के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में हर तरह की जानकारी इकट्ठा की जायेगी. जाति के साथ उप जाति, निवास स्थान, घर सहित अमीर और गरीब की भी जानकारी जुटाई जायेगी.
Bihar | We've said to bring the (bill) in the next cabinet meeting and start it in the month of November. During Chhath puja people who reside outside Bihar will also come to the state and till then we can complete prepartions for it: RJD leader Tejashwi Yadav pic.twitter.com/7ozwqMbPLO
— ANI (@ANI) June 1, 2022
तेजस्वी ने रखी शर्त
सर्वदलीय बैठक में आरजेडी की ओर से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शामिल हुए। उन्होंने जातीय जगगणना को लेकर अपनी शर्त रखी। उन्होंने कहा कि जातीय गणना छठ महापर्व के समय करना चाहिए. ये वो समय होता है, जब अधिकतर बिहारी अपने बिहार स्थित घरों पर पहुंचते हैं. इसलिए जातीय गणना के लिए नवंबर माह उपयुक्त रहेगा.
It's a caste-based survey, not a census. It's our win. Today we suggested (in the all-party meeting) that social anthropologists should be included in this. Central govt should support it financially. This survey is in the interest of people of Bihar: RJD leader Tejashwi Yadav pic.twitter.com/xtStDrjuuZ
— ANI (@ANI) June 1, 2022
बीजेपी की रणनीति रही सफल
दरअसल, बीजेपी की जातीय जनगणना का विरोध कर रही थी। बीजेपी का मानना है कि इससे हिंदुओं के बीच एक बार फिर से जाति को लेकर सामाजिक दूरी बढ़ेगी। लेकिन अन्य पार्टियों के बढ़ते दबाव के बीच बीजेपी जातीय जनगणना के लिए तैयार हो गई। परन्तु बीजेपी ने मुस्लिमों में भी जातियों और उप जातियों की जनगणना कराने की मांग रख दी। जिसपर सर्वदलीय बैठक में सहमति बन गई। जिससे ये पता चलेगा कि बिहार में आजादी के बाद मुसलमानों की जनसंख्या में कितनी बढ़ोत्तरी हुई। यानि बीजेपी की रणनीति भी सफल रही।
नीतीश कुमार ने क्या कहा
सर्वदलीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत ही कम समय सीमा निर्धारित कर जाति आधारित गणना पूरी होगी। इसके लिए बड़े पैमाने पर तेजी से काम होगा। शीघ्र ही कैबिनेट से निर्णय लेकर समय सीमा की भी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। हर व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी ली जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से जितने लोगों को गणना में लगाया जाएगा, उनका सबसे पहले प्रशिक्षण कराया जाएगा। इस काम के लिए पैसे की जरूरत होगी। इसका भी प्रबंध किया जाएगा। जाति आधारित गणना के बारे में पूरे तौर पर विज्ञापन प्रकाशित कर दिया जाएगा, ताकि एक-एक चीज को लोग जानें। दलों को भी इसकी जानकारी दी जाएगी। मालूम हो कि सामान्य प्रशासन विभाग गणना कराएगा।
लोगों का आगे बढ़ाना इसका मकसद
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना कराने का मकसद लोगों को आगे बढ़ाना है। हमलोगों की योजना यही है कि सबका विकास ठीक ढंग से हो। कोई पीछे है तो उसकी उपेक्षा नहीं हो। किसी भी समुदाय और जाति के हैं, सबकी संख्या नोट की जाएगी। इसे करने के बाद इसे प्रकाशित करेंगे। सभी दलों को इसकी जानकारी निरंतर दी जाएगी, ताकि कोई छूटे नहीं। अगल-अलग जाति में अनेक उपजातियां हैं। इसलिए कोई भी उपजाति बोलेगा तो बगल वाले जो उसी उपजाति के हैं, वे बोलेंगे कि यह फलां जाति के हैं। उनकी सहमति लेकर ही यह नोट किया जाएगा।
गरीब की भी होगी पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना पूरी होने के बाद यह भी पता चलेगा कि कौन गरीब है, कौन क्या है? ये सब जानकारी भी इसके अंतर्गत ली जाएगी। हमलगों को सबको आगे बढ़ाना है। कोई पीछे नहीं रहे। इसलिए सब चीज कराएंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए था
एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमलोग मिले और अनुरोध किया कि राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना होनी चाहिए। पर, कुछ समय के बाद हुआ कि राष्ट्रीयस्तर पर यह नहीं होगा। राज्यस्तर पर करना होगा। राज्यस्तर पर अपनी तरफ से इसको करना है। बीच में विधान परिषद चुनाव आदि को लेकर सर्वदलीय बैठक में थोड़ी देरी हुई है। एक सवाल पर कहा कि जाति की गणना का विरोध नहीं हुआ है। सिर्फ यह बात कही गई थी कि राष्ट्रीयस्तर पर यह हो नहीं पा रहा है। पर, सभी राज्य धीरे-धीरे इसे कराने पर विचार कर रहे हैं। सभी राज्यों में यह हो जाएगा तो राष्ट्रीयस्तर पर यह स्वत: आंकड़ा आ जाएगा।
पीएम से मिला था प्रतिनिधिमंडल
23 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री से दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मिला था और देश में जातीय जनगणना कराने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री के साथ 10 पार्टियों के नेता दिल्ली गए थे। इनमें राजद के तेजस्वी यादव, जदयू के विजय चौधरी, भाजपा के जनक राम, कांग्रेस के अजीत शर्मा, माले के महबूब आलम, वीआईपी के मुकेश साहनी, हम के जीतन राम मांझी, एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान, भाकपा के सूर्यकांत पासवान और माकपा के अजय कुमार शामिल थे।
दो बार विधानसभा से प्रस्ताव पारित हुआ
देश में जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव पारित हुआ है। फरवरी 2019 में विधानसभा और विधान परिषद से यह पारित हुआ था। फिर, फरवरी 2020 में भी विधानसभा से जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित हुआ था।
बीजेपी ने दी सहमति
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि बिहार में जाति आधारित गणना कराने पर भाजपा ने सहमति दी है। सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल भी उपस्थित थे। उन्होंने भी बैठक में अपनी बात रखी और राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जतायी।