पाकिस्तान के सामने अब तक का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है । हालात ये हो गए हैं कि शादियों पर रोक लगा दी गई है । साथ ही सरकार ने बाजार को बंद करने का भी आदेश दिया है । पाकिस्तान में सरकारी दफ्तरों में छुट्टियां दे दी गई है । कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करे के लिए कहा गया है । ये सब कोरोना की वजह से नहीं बल्कि पाकिस्तान में हुई आर्थिक संकट की वजह से हुआ है। आर्थिक संकट की वजह से पाकिस्तान अंधेरे में डूब गया है ।
पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 8 जून से रात 10 बजे के बाद शादियों पर रोक लगा दी गई है। रात 8.30 बजे के बाद सभी मार्केट को बंद करने का आदेश दिया गया है। ऑफिस वर्किंग डे सप्ताह में 6 से घटाकर 5 कर दिया गया है। सरकार ने ये फैसला देश में भारी बिजली संकट को देखते हुए लिया है।
पाकिस्तान में बिजली संकट की समस्या कितनी गंभीर है? इसका अंदाजा 6 जून को जारी पाकिस्तान सरकार के नोटिफिकेशन से लगाया जा सकता है। इसमें सरकार ने कहा कि 30 जून तक देश में हर रोज 3.5 घंटे बिजली कटौती की जाएगी। 30 जून के बाद बिजली कटौती 3.5 घंटे से घटाकर 2 घंटे करने की बात कही गई।
पाकिस्तान सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि देश में 22 हजार मेगावट बिजली का उत्पादन हो रहा है जबकि जरूरत 26 हजार मेगावट की है। ऐसे में पाकिस्तान में 4 हजार मेगावॉट बिजली की कमी है। हाल के दिनों में पाकिस्तान में बिजली की कमी बढ़कर 7800 मेगावट तक पहुंच गई है।
7 जून को पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में 15 घंटे बिजली गुल रही जबकि लाहौर में इसी दिन 12 घंटे तक बिजली कटौती हुई। इससे पाकिस्तान में बिजली संकट से पैदा हुए हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बिजली संकट से निपटने के लिए शहबाज शरीफ सरकार ने पांच बड़े फैसले लिए हैं ।
1. सप्ताह में काम के दिनों की संख्या 6 से घटाकर 5 कर दी है। इसके पीछे प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का तर्क दिया गया है, लेकिन असली वजह बिजली की मांग को कम करना है।
2. सरकारी कर्मियों के गाड़ी खरीदने पर रोक लगाने के साथ ही सरकारी दफ्तरों में तेल सप्लाई में 40% कटौती कर दी है।
3. सरकार ने शुक्रवार को सरकारी कर्मियों के लिए घर से काम करने को अनिवार्य कर दिया है।
4. शाम साढ़े 8 बजे तक मार्केट को बंद किए जाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
5. इस्लामाबाद में रात 10 बजे के बाद शादी समारोह के आयोजन पर रोक लगा दी गई है।
दरअसल, पाकिस्तान में बिजली संकट की मुख्य वजह आर्थिक बदहाली है। दरअसल, पाकिस्तान के ज्यादातर पॉवर प्लांट में तेल के जरिए बिजली पैदा की जाती है। इन पॉवर प्लांट में इस्तेमाल होने वाले तेल को विदेश से आयात किया जाता है।
यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया भर में तेल की कीमत में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इस वक्त डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपया 202 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसे में सरकार तेल का आयात कम से कम करना चाहती है।
पीएम शहवाज शरीफ ने खुद ये बात कही है कि पाकिस्तान सरकार के खजाने में इतना पैसा नहीं है कि हम तेल और गैस दूसरे देशों से खरीद सकें। ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं वजहों से अगस्त 2021 की तुलना में जून 2022 में पाकिस्तान में तेल के आयात में 50% तक की कमी आई है।
पाकिस्तानी की तंगहाली से आमलोग परेशान
पाकिस्तान में सरकारी खजाना खाली होने की वजह से आम लोगों को सिर्फ बिजली संकट की समस्या का नहीं बल्कि महंगाई का भी सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में गैस की कीमत में 44% से 45% की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं पाकिस्तान में बिजली की कीमत में भी प्रति यूनिट 4.8 रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
IMF ने 2019 में पाकिस्तान सरकार को 46 हजार करोड़ रुपए कर्ज देने का वादा किया था। इसके तहत 26 मई को IMF ने पाकिस्तान को 7 हजार करोड़ रुपए देने की बात कही थी, लेकिन साथ ही बिजली और तेल पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने की मांग की थी।
ऐसे में IMF के दबाव में तेल और बिजली की कीमत में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में साफ है कि जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ने से आमलोगों के जीवन पर सीधा असर पड़ने वाला है।
पाक सरकार के खजाने में केवल 2 महीने के खर्च के पैसे बचे
नकदी की तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस महीने गिरकर 10.1 अरब डॉलर रह गया है। इतने कम विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब है कि पाकिस्तान के पास पेट्रोल-डीजल समेत जरूरी चीजों के आयात के लिए केवल दो महीने का ही पैसा बचा है।
6 मई को समाप्त सप्ताह में ये पाक का विदेशी मुद्रा भंडार 16.4 अरब डॉलर था, जोकि दिसंबर 2019 के बाद से सबसे कम विदेशी मुद्रा भंडार है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2016 में सबसे अधिक 19.9 अरब डॉलर और जनवरी 1972 में सबसे कम 96 मिलियन डॉलर रहा था।