महाभारत कालीन सिद्धनाथ मंदिर के बारे में जानिए.. जलाषिभेक के बाद प्रदर्शन क्यों ?

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नालंदा अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। चाहे वो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय हो या राजगीर का कुंड हो। ऐसा ही एक और प्राचीन धरोहर है राजगीर का सिद्धनाथ मंदिर। जिसके बाहर सावन की पहली सोमवारी को श्रद्धालुओं ने प्रदर्शन किया।

सिद्धनाथ मंदिर के बारे में जानिए
तीर्थनगरी राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर भगवान शंकर का एक मंदिर स्थित है। जिसे सिद्धनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर महाभारत युग का बताया जाता है। कहा जाता है कि सिद्धनाथ मन्दिर की स्थापना मगध के राजा जरासंध ने की थी।

रोजाना पूजा करते थे जरासंध
मान्यता के मुताबिक मगध के महाराज जरासंध रोजाना भेलवा डोप तालाब में पहले स्नान करते थे। उसके बाद वे सिद्धनाथ मन्दिर में आकर पूजा अर्चना किया करते थे।

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क्या है मान्यता
न्यता है कि प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।यही वजह है कि इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पूरे भारत से लोग आते हैं।

मिटने के कगार पर ऐतिहासिक धरोहर
लेकिन ये एतिहासिक धरोहर अब मिटने के कगार है। इस प्राचीन मंदिर की दीवारें ढहने लगी है। मंदिर जीर्णशीर्ण हालत है। ऐसे में सावन के पहली सोमवारी के दिन भगवान शिव को जल अर्पित करने के बाद श्रद्धालुओं ने प्रदर्शन किया । वे सरकार को कुंभकर्णी नींद से जागने की मांग कर रहे थे।

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मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास
साल 2018 में अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती ने प्रधानमंत्री कार्यालय में लोक शिकायत भी दर्ज कराई थी। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की पटना इकाई ने जांच के लिए एक टीम राजगीर भेजा था। जिसने मन्दिर के संरक्षण, सौंदर्यीकरण एवं विकास के लिए प्राक्कलन तैयार कर विभाग को पत्र जारी किया गया था। जांच टीम को गए हुए दो वर्ष बीत गए लेकिन इसका विकास अभी तक नही हो सका है।

साल 2019 में सिद्धनाथ मन्दिर परिसर में भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद ने मानव श्रृंखला निर्माण के साथ जलाभिषेक सह धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्रा निकाली थी। ताकि सरकार को जगाया जा सके। कार्यक्रम में राजगीर के तत्कालीन विधायक रवि ज्योति ,पूर्व विधान पार्षद राजू यादव समेत कई नेताओं ने हिस्सा लिया था ।

राजगीर के तत्कालीन विधायक रवि ज्योति ने विधानसभा में सिद्धनाथ मन्दिर के विकास को लेकर प्रश्न भी था। जिसके बाद मामला पर्यटन विभाग के पास पहुंचा था। जहां अब तक लंबित है

ऐसे में सावन की पहली सोमवारी को शिव भक्तों ने सिद्धनाथ मंदिर में पहले भगवान भोले शंकर का जलाभिषेक किया। फिर हाथों में पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया । पोस्टर में सरकार से मंदिर के जीर्णोद्धार करने की मांग की गई।

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