
रमजान के तीसरे जुमे के मौके पर बिहारशरीफ समेत देशभर के मस्जिदों में जुमे की नमाज अता की गई। पहली अजान के पहले से ही लोग मस्जिदों में बैठकर कुरान-ए- पाक की तिलावत में जुट गए औऱ अजान के बाद से मस्जिद में जिसे जहां जगह मिली, लोग इबादत में लग गए। जैसे-जैसे नमाज का समय करीब आता गया मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ती गयी और नमाज अता की। आधा रमजान गुजर चुका है, अब चंद दिनों के बाद रमजानुल मुबारक का पाक महीना खत्म हो जाएगा। रमजान के दौरान हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख (नरक) के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं। उल्माए दीन ने कहा कि रमजान माह को तीन अशरों (खंडों) में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत का है। इसमें अल्लाह तआला अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाते हैं। दूसरा अशरा ‘बरकत का है जिसमें बरकत नाजिल होता है, जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत का है। इस अशरे में अल्लाह तआला अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देते हैं।
शब ए कदर का करें एहतराम
उल्मायेदीन ने कहा कि रमजान की 21, 23, 25, 27 और 29 की रातों में से कोई एक रात शब-ए-कदर की रात होती है। उन सभी रातों में जाग कर कुराआन-ए- पाक की तिलावत, नफिल नमाजें व अजकारो अफकार में रात गुजारें। इस एक रात की इबादत का सवाब हजार रात की इबादत के बराबर है। इन्हीं रातों में अल्लाह तआला ने अपने आखिरी नबी हजरत मोहम्मद साहब पर कुरआन पाक नाजिल किया था।