नालंदा बिहार के सीएम नीतीश कुमार का गढ़ रहा है और उनके गढ़ में सेंधमारी करना महागठबंधन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। नीतीश के गढ़ को तोड़ने के लिए महागठबंधन एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। लेकिन 23 मई को ही पता चलेगा कि महागठबंधन को जनता ने खुश किया अथवा मायूस। नालंदा में आज वोटिंग है मुख्य मुकाबला एनडीए के जदयू प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार और महागठबंधन के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रत्याशी अशोक कुमार आजाद के बीच है। कौशलेंद्र जहां हैट्रिक लगाने के लिए बेताब हैं तो अशोक का यह पहला चुनाव है। मैदान में कुल 35 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं।
महत्वपूर्ण है जातीय गोलबंदी
2014 की तरह ही इस बार भी हार-जीत का अंतर बहुत कम रहने की संभावना है। पढ़े-लिखे युवा व महिला वोटरों के लिए विकास, रोजगार के अवसर, बराबरी का हक और शराबबंदी मुद्दा है। शेष गोलबंदी जातीय आधार पर ही होनी है। बहरहाल, अगड़ी और अतिपिछड़ी जातियों में से एक-एक अपनी अहमियत बता देने की जिद पर अड़ी हुई हैं। मतदाताओं के इस धड़े में परिणाम को प्रभावित करने की कितनी क्षमता है
उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट बनेगी चिंता
इन सबके बीच नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी भी फैक्टर हैं, जिनकी हर जाति-वर्ग में पैठ है। 1996 के बाद नालंदा में इतने अधिक (35) उम्मीदवार हैं। 23 दलीय और 12 निर्दलीय हैं। इससे पहले 1996 में 34 प्रत्याशी दांव आजमाए थे। तब समता पार्टी के टिकट पर जार्ज फर्नांडिस विजेता रहे थे। इस बार कौशलेंद्र के सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है। खास बात कि 2014 में मोदी लहर के बाद भी नालंदा में नीतीश कुमार का सिक्का चला था।
क्या कहते हैं आंकड़े
कुल मतदाता: 2102410
पुरुष: 1114006
महिला: 988325
थर्ड जेंडर: 79
मतदान केंद्र: 2248
2014 के नतीजे
1. कौशलेंद्र कुमार (जदयू) : 321982
2. सत्यानंद शर्मा (लोजपा) : 312355
3. आशीष रंजन सिन्हा (कांग्रेस) : 127270
जीत-हार का अंतर: 9627
2009 के नतीजे
1. कौशलेंद्र कुमार (जदयू) : 299155
2. सतीश कुमार (लोजपा) : 146478
3. अनिल सिंह (एलटीसीडी): 20,335
जीत-हार का अंतर : 152677