बिहार सरकार के कई मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदल दिए गए हैं । जिसमें शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर भी शामिल हैं.. बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की नाराजगी के सामने बिहार सरकार को झुकना पड़ा है। आपको बता दें कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच पहले से ही तनातनी चल रही थी। जिसकी वजह से केके पाठक अचानक छुट्टी पर चले गए थे ।
शर्त पर लौटे थे पाठक
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के कड़क अफसर केके पाठक को मनाने की पहल खुद की थी.. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने खुद केके पाठक से इस सिलसिले में बात की थी। जिसके बाद केके पाठक 11 दिनों की छुट्टी के बाद शुक्रवार को ही ड्यूटी पर लौट आए थे और शनिवार को शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की छुट्टी कर दी गई.. माना जा रहा है कि इसके जरिए नीतीश कुमार ने केके पाठक को फ्री हैंड दे दिया है।
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किसे मिली जिम्मेदारी
आरजेडी नेता चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग छीन लिया गया है। उनकी जगह लालू यादव के भरोसेमंद और तेजतर्रार आरजेडी नेता आलोक मेहता को शिक्षा मंत्री बनाया गया है । आलोक मेहता इससे पहले भूमि सुधार और राजस्व मंत्री थे। वहीं, प्रोफेसर चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्रालय की जगह गन्ना उद्योग थमा दिया गया है । जबकि आलोक मेहता का जो पोर्टफोलिया था.. वो बिहार के पीएचईडी मंत्री ललित यादव को सौंप दिया गया है। यानि ललित यादव अब बिहार के पीएचईडी मंत्रालय के साथ साथ भूमि सुधार और राजस्व मंत्रालय भी संभालेंगे ।
आपको बता दें कि चंद्रशेखर अक्सर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। पहले रामचरित मानस को लेकर भी वो विवादों में रह चुके हैं। यहां पर ये भी बता दें कि चंद्रशेखर जब शिक्षा मंत्री थे तो उनके और केके पाठक के बीच झगड़ा सामने आया था। शिक्षा मंत्री के पीए ने केके पाठक को पीत पत्र भेज कर उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे । जिसके बाद केके पाठक ने न सिर्फ पीत पत्र का जवाब दिया, बल्कि पीए के शिक्षा विभाग में प्रवेश पर ही पाबंदी लगा दी थी। जिसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने इसकी शिकायत आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से की थी। जिसके बाद लालू ने उन्हें नीतीश के पास भेज दिया था ।