आप सोचिए किसी के जवान बेटे और भाई की मौत हो गई हो। पुलिस उसका पोस्टमास्टम कराने के बाद उसके शव को सौंप दिया हो। घर में चित्कार मचा हो और इस बीच वही युवक की जिसका पोस्टमार्टम पुलिस ने कराया हो वो जिंदा घर आ पहुंचे तो क्या हुआ होगा।कोई उसे मृतात्मा समझ रहा था तो कोई उसे छूकर देखने की कोशिश कर रहा था। जी हां, ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है । बल्कि ऐसा बिहार में ही हुआ है।
ट्रक के धक्के से हो गई मौत
पटना जिले के शाहपुर थाना के दाउदपुर गांव के रहने वाले राजन राय का बेटा रंजीत कुमार अपनी मौसेरी बहन के घर रहता है। रंजीत की मौसेरी बहन भोजपुर जिले के कोईलवर थाना क्षेत्र के पचरूखिया गांव रहती हैं। रंजीत यहीं रहकररहकर राजमिस्त्री का काम करता है। मंगलवार को उसका साथी अखिलेश महतो भोजपुर जिले के कोईलवर थाना के जमालपुर गांव आया था। वो दोस्त रंजीत के पास मिलने गया। वह रंजीत का मोबाइल लेकर वापस घर जा रहा था कि इसी दौरान आरा-छपरा फोरलेन पर ट्रक की ठोकर से उसकी मौत हो गई।
मोबाइल फोन ने कराई चूक
पुलिस ने मोबाइल के आधार पर उसे रंजीत समझकर न सिर्फ घरवालों को सूचना दे दी, बल्कि पंचनामा बनाकर पोस्टमार्टम भी करा दिया। जबकि, हादसे में जान गंवाने वाला युवक पटना का अखिलेश महतो था।
…और जिंदा घर पहुंचा युवक
घटना की सूचना पाकर रंजीत के घर में मातम फैल गया। सब का रो-रोकर बुरा हाल था। इसी बीच रंजीत घर पहुंच गया। उसे देख पहले तो परिजनों को विश्वास नहीं हुआ। कुछ लोगों ने उसे मृतात्मा भी समझ लिया। लेकिन जब हकीकत समझ में आई तो मातमी माहौल खुशी में तब्दील हो गया।
पुलिस ने मानी गलती
घटना की बाबत कोईलवर थानाध्यक्ष पंकज सैनी बताया कि मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट पर गलत नाम दर्ज हो गया था। बाद में सही पहचान होने पर सदर अस्पताल प्रबंधन को शुद्धि पत्र भेज नाम में संशोघन कराया जाएगा।
सवाल ये है कि पुलिस ने बिना जांच शव को परिजन को सौंप दिया। सोचिए ऐसी दुखद खबर मिलते परिवार के किसी सदस्य की हृदय आघात से मौत भी हो सकती थी? ऐसे में क्या उन पुलिसवालों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?