पापा बेचते हैं खैनी, बेटा IIT में चयनित

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कहा जाता है कि अगर आप में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो फिर आपके सामने कुछ भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता है। न गरीबी आपके आड़े आती है और न संसाधनों की कमी ही आपको सफलता दिलाने से रोक पाता है। जी हां, ऐसा ही कर दिखाया है विक्रांत ने। पिता खैनी बेचकर परिवार का गुजारा करते हैं तो उनका बेटा विक्रांत ने सारी परेशानियों और बाधाओं के बीच आईआईटी में सफलता का परचम लहराया है। विक्रांत नालंदा जिला के सारे थाना के खेतलपुरा गांव का रहने वाला है। लेकिन उसका पूरा बचपन बरबीघा में गुजरा। बरबीघा के सामाचक में उसके पिता नारायण सिंह खैनी बेचते हैं। विक्रांत की 10वीं की पढ़ाई बरबीघा के संत मैरी स्कूल से हुई। जबकि इंटर की पढ़ाई एसके आर कॉलेज से की है। विक्रांत बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहता था। इसलिए वो पढ़ाई में पूरे जतन के साथ लगा रहता था। इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद विक्रांत कोचिंगं के लिए पटना चला गया था। पापा नारायण सिंह अभाव के बावजूद बेटे की पढ़ाई में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहते थे। वो कर्ज लेकर विक्रांत को पटना भेजे। विक्रांत भी पापा की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए दिन-रात मेहनत किया और सफलता हासिल की ।
परिवार और रिश्तेदारों में छाई खुशी
विक्रांत की इस सफलता से परिवार-रिश्तेदारों के साथ पूरे गांव खुश है । विक्रांत को बधाई देने वालों का तांता लगा है। संत मैरी स्कूल के प्राचार्य प्रिंस पिजे और अन्य लोगों ने उन्हें बधाईयां दीं। सफलता पर विक्रांत ने कहा कि मेहनत के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। विक्रांत के मुताबिक मेहनत और एक्राग होकर लक्ष्य के प्रति लगे रहने से सफलता पाई जा सकती है।

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