
बक्सर को मिनी काशी या मिनी बाबाधाम के तौर पर जाना जाता है. महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि के बक्सर के प्रसिद्ध रामेश्वर मंदिर में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की शुरुआत हो गई है . रामरेखा घाट स्थित रामेश्नर नाथ मंदिर में ये महायज्ञ 23 जून तक चलेगा.
शहर में निकाली गई शोभा यात्रा
महायज्ञ शुरू होने से पहले शहर में शोभा यात्रा निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने कलश लेकर शहर का भ्रमण किया. शोभायात्रा में शहर के जानेमाने कारोबारी अरुण मिश्रा, उनके छोटे भाई अजित मिश्रा, बीजेपी नेता प्रदीप दूबे ,बक्सर के एसडीओ केके उपाध्याय और बक्सर के डीएसपी भी शरीक हुए. ये महायज्ञ श्री कृष्णा नन्द जी महाराज के नेतृत्व में किया जा रहा है. यहां बता दें कि अरुण मिश्रा की पहचान शहर में सिर्फ कारोबारी ही नहीं बल्कि समाजसेवी के तौर पर भी है. वो सामाजिक कामों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं
रोजाना होगा वराह पुराण की कथा
लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान रोजाना दोपहर तीन बजे श्री वराह पुराण की कथा होगी। साथ ही शाम सात बजे आरती के साथ कथा का विश्राम होगा। ये महायज्ञ पिछले तेरह सालों से चलता आ रहा है.
रामेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास
मां गंगा के रामरेखा घाट किनारे स्थित श्री रामेश्वरनाथ मंदिर का इतिहास लगभग 13 लाख वर्ष पूर्व का है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी. कहा जाता है कि वनवास के दौरान राम ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए रामेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना की. कहा जाता है कि जो भी साधक सच्चे मन से मां गंगा में डुबकी लगाने के बाद रामेश्वरनाथ यानि भगवान शंकर के दर्शन करता है, उस पर लगा ब्रह्महत्या जैसा पाप भी मिट जाता है.
रामरेखा घाट का नाम कैसे पड़ा
जानकारों की मानें, तो जब ऋषि मुनियों की तपस्या में राक्षस खलल डालने लगे, तब भगवान श्री राम ने दानवों के गमन पर रोक लगाने के लिए एक रेखा खींची ताकि. चारों दिशाओं सहित आकाश और पाताल के रास्ते भी यहां राक्षसों का प्रवेश नहीं हो सके. उसी रेखा के कारण इस जगह का नाम रामरेखा घाट पड़ा.