नालायक टीचरों पर नकेल कसेगी नीतीश सरकार.. पब्लिक को दिया अनोखा हथियार.. पढ़िए पूरा डिटेल

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बिहार में अब वैसे टीचरों की खैर नहीं जिन्हें कुछ आता नहीं और सिर्फ वेतन उठा रहे हैं.. ऐसे शिक्षकों पर बिहार सरकार नकेल कसने वाली है । इसके लिए सरकार ने बड़ा आदेश दिया है। बिहार सरकार सबसे पहले वैसे शिक्षकों की पहचान करेगी जो पढ़ाने में कमजोर हैं.. साथ ही उन शिक्षकों की भी पहचान की जाएगी जिन्हें पढ़ाने तो आता है.. लेकिन वो कामचोरी करते हैं. बच्चों को पढ़ाते ही नहीं हैं। ऐसे शिक्षकों की पहचान के करने के लिए सरकार ने नया हथियार बनाया है।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके ने सूबे के बर्बाद एजुकेशन सिस्टम को लाइन पर लाने की कोशिश में जुटे हैं। इसले लिए वो लगातार कड़े और सख्त फैसले ले रहे हैं। इसी कड़ी में अब उनकी नज़र वैसे टीचरों पर है. जो पढ़ाने में कमजोर हैं या जिन्हें कुछ आता जाता नहीं है। साथ ही उन टीचरों पर जो पढ़ाना तो जानते हैं लेकिन पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। केके पाठक ने अब टीचरों को दुरुस्त करने के लिए नया फैसला लिया है।

शिक्षा विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो कैसे इस बात का मूल्याकंन करे कि कौन टीचर पढ़ाने में कमजोर है या बच्चों को गलत सलत पढ़ाता है.. इन टीचरों के आंकलन की जिम्मेदारी अब सरकारी विभाग की जगह पब्लिक को दे दिया । इसके लिए प्राइमरी,मिडिल और हाई स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के अभिभावक भी टीचर का मूल्यांकन कर सकते हैं.. अगर उन्हें लगता है कि अमूक टीचर पढ़ाने में कमजोर है और स्कूल का प्रिंसिपल उस टीचर पर एक्शन नहीं लेता है तो ऐसे टीचर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं ।

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में अभी करीब चार लाख टीचर्स प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण का काम करते हैं. जिसमें से 20 प्रतिशत बच्चों को पढ़ाने में कमजोर हैं. यानि बिहार के स्कूलों में 80 हजार ऐसे टीचर हैं जिन्हें पढ़ाना नहीं आता है या जो बच्चे को ठीक से नहीं पढ़ा सकते हैं.. ऐसे बातें खुद शिक्षा विभाग भी मानता है ।

मतलब 80 हजार शिक्षक तो सरकारी डेटा में पहले से ही बच्चों को पढ़ाने में कमजोर हैं.. अब सरकार नए सिरे से आंकलन करना चाहती है कि और कितने टीचर्स हैं जो साइंटिफिक तरीके से पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं । इसके लिए सरकार ने विद्यालयी निरीक्षी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो वैसे शिक्षकों की पहचान करे।

केके पाठक के मुताबिक. जो टीचर्स बच्चों को पढ़ाने में कमजोर हैं. पहले उन्हें आइडेंडिफाई किया जाएगा। फिर पहचान करने के बाद उन टीचरों को फिर से ट्रेंड किया जाएगा। वैसे टीचरों का ट्रेनिंग के बाद डिपार्टमेंटल एग्जाम भी होगा जिसमें उन्हें पास करना होगा। ऐसे शिक्षकों को डायट के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए बिहार सरकार सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में विद्या समीक्षा केंद्र के नाम से मॉनिटरिंग सेंटर स्थापित करेगी। जिसे राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा विकसित किया जाएगा

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