
कभी सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh)को एक दूसरे का पूरक माना जाता था। जेडीयू ही नहीं बिहार के प्रशासनिक ढांचे में भी आरसीपी सिंह की तूती बोलती थी। लेकिन पिछले कुछ महीने में ऐसा हुआ कि नीतीश कुमार के दरवाजे शायद आरसीपी सिंह के लिए बंद हो गई है। ताजा वाक्या जमुई का है। जहां आरसीपी सिंह एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। आरसीपी सिंह से हनुमान को लेकर सवाल पूछा गया। जिसपर वे बिफर पड़े।
हनुमान के सवाल पर बिफर पड़े रामचंद्र
दरअसल, जमुई में जब पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि आपको भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हनुमान कहा जाता है. आप नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते थे. इस सवाल पर आरसीपी सिंह ने कहा मैं कभी किसी का हनुमान नहीं रहा. इसे सुधार लें. मैं स्वयं राम चन्द्र हूं। मेरा नाम भी राम चन्द्र सिंह है। नीतीश कुमार से बेरुखी के जवाब में उन्होंने कहा कि ये तो मीडिया ही जानती होगी। मुझ से नहीं पूछिए…
बंगला खाली करने पर क्या कहा
पटना में आरसीपी सिंह के बंगला खाली करने से जुड़ा सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि वो संजय गांधी के घर में रहते थे और उनका घर मुस्तफापुर मालती है।
संगठन के सवाल पर भी उखड़ गए
इसके बाद पत्रकारों ने जब आरसीपी सिंह से पूछा कि आप तो जेडीयू के आधार माने जाते रहे हैं तो उन्होंने साफ कर दिया कि मैं नहीं जानता मैं किसी संगठन का आधार नहीं, मैं सिर्फ सिंपल आदमी हूं. सवालों में जब पूछा गया सीएम नीतीश कुमार से इतनी बेरुखी क्यों तो उन्होंने साफ कर दिया यह तो आप जानते होंगे मैं तो नहीं जानता. उन्होंने पत्रकारों पर आक्रोश जताते हुए कहा कि आप जो यह सवाल पूछ रहे हैं ऐसा पूछने के लिए जिसने भी भेजा है उसी से जवाब ले लें.
ललन सिंह को तरजीह दिए जाने पर बोले
पत्रकारों ने द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान पीएम मोदी द्वारा ललन सिंह को तरजीह दिए जाने पर भी उनसे सवाल किया गया । इस पर उन्होंने कहा मैं यहां दूसरे काम से आया हूं इसे लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है और मैं कुछ कहना भी नहीं चाहता हूं.
दरअसल, केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह निजी कार्यक्रम में भाग लेने जमुई पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ न तो JDU के जमुई जिलाध्यक्ष और न ही जिले में जेडीयू के एक मात्र झाझा से विधायक दामोदर रावत नजर आए।