बिहारशरीफ सदर अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है। जहां एक पिता अपनी लाडली के लिए स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हो पाया। अभागे पिता को अपनी बेटी के शव को गोद में उठाकर एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा। इस दौरान एक भी स्वास्थ्यकर्मी स्ट्रेचर लेकर मदद के लिए नहीं आया।साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया ।
क्या है पूरा मामला
मामला बिहारशरीफ सदर अस्पताल की है। जहां आशानगर के रहने वाले अशोक पासवान की 15 साल की बेटी गुड़िया की इलाज के दौरान मौत हो गई। अशोक पासवान का आरोप है कि गुड़िया के इलाज में डॉक्टरों ने लापरवाही बरती जिससे उसकी मौत हो गई। हालात यहीं नहीं हुआ । बेटी की मौत के बाद उसे स्ट्रेचर तक नहीं मिला जिसकी वजह उसने गोद में उठाकर एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा।
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दहाड़ मारकर रोने लगा पिता
बेटी की मौत के बाद पिता इमरजेंसी वार्ड में दहाड़ मारकर रोने लगा। लेकिन किसी ने उसक सुध नहीं ली। वहां एंबुलेंस नहीं देखकर पिता निजी एंबुलेंस के लिए गया। निजी एंबुलेंस चालकों ने उससे एक हजार रुपए की मांग की। लेकिन पैसे नहीं होने के कारण वापस लौट गया। इस दौरान वहां मौजूद मीडियाकर्मियों के कहने पर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से एंबुलेंस मुहैया कराया गया। लेकिन, कोई स्ट्रेचर को हाथ लगाने वाला नहीं पहुंचा। पिता को बेटी का शव गोद में उठाकर एंबुलेंस तक जाना पड़ा।
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गुड़िया को क्या हुआ था
मृतक गुड़िया के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को डायरिया हुआ था। इसके बाद इलाज के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया था। जहां डॉक्टर ने सैलाइन चढाया और इंजेक्शन दी। जिसके बाद स्थिति में सुधार नहीं हुआ और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। मृतक के पिता का कहना है कि डॉक्टरों ने ठीक से इलाज नहीं किया जिसकी वजह से गुड़िया की मौत हुई।
अस्पताल की सफाई
वहीं, सदर अस्पताल का कहना है कि गुड़िया को लक्षण के आधार पर इलाज किया गया। दवा भी दी गई। जब स्थिति गंभीर होने लगी तो उसे विम्स रेफर किया गया। लेकिन स्वजन ले जाने को तैयार नहीं हुए। बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. महेंद्र कुमार का कहना था कि बच्ची की हालत काफी खराब थी। उसे बेहतर इलाज के लिए पावापुरी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था। लेकिन परिजन टाल मटोल करते रहे। जिस कारण उसकी मौत हो गयी।
पीड़िता पिता ने कहा
पीड़ित पिता ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि डायरिया जैसी मामूली बीमारी भी जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल के डाक्टर संभाल नहीं सके और उनकी बेटी को पावापुरी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। ऐसे में मामूली बीमारी में भी मरीज को रेफर किया जाएगा तो यहां के डॉक्टर किस काम के हैं.. उन्होंने कैसी पढ़ाई की है ? उन्होंने जो इलाज किया वो तो कोई झोलाछाप डॉक्टर भी कर सकता है तो ऐसे में सरकार इनपर लाखों रुपए क्यों खर्च करती है?
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने क्या कहा
वहीं बिहारशरीफ सदर अस्पताल के नए उपाधीक्षक डॉ. सुजीत कुमार अकेला ने माना कि स्ट्रेचर मैन की कमी है। इसके लिए वरीय अधिकारियों को लिखा जाएगा। इस मामले में किसी की लापरवाही नहीं है और बेहतर इलाज किया गया। अस्पताल में व्यवस्था को और चुस्त दुरुस्त किया जाएगा